परमजीत बाली said...बहुत भाव भीनी रचना है।अच्छी लगी।धन्यवाद।
February 18, 2009 12:09 PM
समयचक्र said...बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना .अच्छी लगी.बधाई.
February 18, 2009 12:48 PM
रंजना [रंजू भाटिया] said...सच में आ गया फागुन आपकी लिखी कविता पढ़ कर यही लगा सुंदर लिखा आपने
February 18, 2009 12:52 PM
मोहिन्दर कुमार said...सुन्दर रचना... होली की आमद का खाका खींच दिया आपने.
February 18, 2009 2:57 PM
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said...सुन्दर रचना, मानो फागुन का साक्षात्कार हो गया आपकी कविता में!
February 18, 2009 6:03 PM
राज भाटिय़ा said...अरे वाह आप की कवित मै तो सच मुच फ़ागुन का मजा आ गया, बहुत सुंदर धन्यवाद
February 18, 2009 11:10 PM
अल्पना वर्मा said...अरे फागुन आ गया??
फागुन के आते ही पिया का इंतज़ार करती यह कविता सुंदर लगी.
February 19, 2009 1:33 AM
G M Rajesh said...fagun par rangon ki bauchaare karne ko taiyaar hai ham bhi
sambhalanaa jaraa pakke rangon se
bagai paani shabdon ki holi blog par hi kheli jaayegi
February 19, 2009 10:57 AM
प्रकाश बादल said...बहुत सुन्दर कविता बड़े दिनो बाद आया और पहली ही कविता अच्छी लगी।
February 22, 2009 1:39 AM
Arvind Mishra said...श्रृंगारपूर्ण ....आशावादी !
February 22, 2009 9:01 AM
Science Bloggers Association said...रूमानी जज्बातों से परिपूर्ण एक सुन्दर रचना है जिसके लिए आपको निश्चित रूप से बधाई दी जानी चाहिए।
February 25, 2009 3:21 PM
posted by शोभा at 11:55 PM on Dec 28, 2008
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3 comments:
ये गुलज़ार के कलम का जादू है
यह गाना वाकई बहुत सुंदर है
विशाल भारद्वाज और गुलज़ार... कमाल का गीत.
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