तुम कहो मैं सुनूँ---
>> Monday, May 5, 2008
तुम कहो मैं सुनूँ
मैं कहूँ तुम सुनो
ज़िन्दगी प्यार से यूँ गुज़रती रहे—
जब भी हारी थी मैं
तुमने सम्बल दिया
जब गिरे थक के तुम
मेरा आश्रय लिया
हम अधूरे बहुत
एक दूजे के बिन
दिल की बातें यूँ ही दिल समझते रहें
ज़िन्दगी प्यार से यूँ गुज़रती रहे—
झोली सुःख से भरी
मैने चुन-चुन सुमन
प्रेम बगिया भरी
अब ना सोचो किसे
पीर कितनी मिली
हर घड़ी दुःख की गागर
छलकती रहे—
ज़िन्दगी प्यार से------
मैं ना टोकूँ तुम्हें
दोनो मिलकर चलें
एक दूजे के संग
दिन महकता रहे
रात ढ़लती रहे
ज़िन्दगी प्यार की
धुन पे चलती रहे--
17 comments:
दिन महकता रहे
रात ढ़लती रहे
ज़िन्दगी प्यार की
धुन पे चलती रहे--
aameen..sundar geet hai SHOBHA ji...
तुम ना रोको मुझे
मैं ना टोकूँ तुम्हें
दोनो मिलकर चलें
एक दूजे के संग
दिन महकता रहे
रात ढ़लती रहे
ज़िन्दगी प्यार की
धुन पे चलती रहे--
वाह शोभा जी़
एक बेहतरीन रचना के लिए आपको बधाई।
वाह बहुत खूब शोभा जी सुद्नर कविता भाव पूर्ण है अच्छी लगी पढने में
सहज सुंदर गीत...
तुम ना रोको मुझे
मैं ना टोकूँ तुम्हें
दोनो मिलकर चलें
एक दूजे के संग
दिन महकता रहे
रात ढ़लती रहे
ज़िन्दगी प्यार की
धुन पे चलती रहे--
कितने खूबसूरत और सादगी भरे अंदाज़ में आपने अपनी बात कही है,बहुत सुंदर
जब भी हारी थी मैं
तुमने सम्बल दिया
जब गिरे थक के तुम
मेरा आश्रय लिया
हम अधूरे बहुत
एक दूजे के बिन
khari baat ...
इन्तहा है मुहब्बत की। खुदा सभी को दे।
यही तो हे प्यार, एक दुजे के बिना दोनो अधुरे यही बात मे सब को कहना चहाता हु,
सच मे आप की कविता ने मेरे दिल की बात कह दी
बहुत उम्दा और आपकी आवाज ने तो इसे चार चाँद लगा दिये. हम तो पॉडकास्ट सुन भी आये. बधाई.
बहुत सुंदर.
बहुत खूबसूरत
ज़िन्दगी प्यार की
धुन पे चलती रहे-- वाह।
शोभा जी,
बहुत सही लिखा है आपने...छोटी छोटी बातें ही जिन्दगी को रंगीन बना देती हैं और यही छोटी छोटी बातें जिन्दगी को नर्क भी बना सकती हैं...
जो है, जैसा है.. को स्वीकारने से सब उलझने खत्म..छोटी सी जिन्दगी है प्यार से जियो
अब ना सोचो किसे
पीर कितनी मिली
हर घड़ी दुःख की गागर
छलकती रहे—
ज़िन्दगी प्यार से------
Bahot hi khoob Shobhaji, do logon mein saath jeene ke liye pyaar ke rath ke do pahiye kitne jaroori hai aur us ke liye aapas ki samajdari aur sajedari bhi utni hi jaroori hai. Aap ke sabhi lekhon me sabse achhi yah lekhini hai aisa mera maanna hai......
kund sooraj par aakar
vahee geet hai
jo sunaayaa tha gaagar
vahee geet hai
bol meethe bahut
madhur aawaaj bhee
mere kaano mein gunjit
hai ye aaj bhee
aapakee lekhanee yun hi
chalatee rahe
zindgi pyaar..........
अब ना सोचो किसे
पीर कितनी मिली
हर घड़ी दुःख की गागर
छलकती रहे—
ज़िन्दगी प्यार से------
Shobhaji,
Zindagi vaise bhi sukh aur dukh ke do pahiyon per hi chalti rahti hai aur shaadi ke do pahiye hai pati aur patni. Ab donon ek doosren ke adhar stambh hain aur donon hi ek duje ko sukh aur peeda donon hi dete hai, kabhi jaan kar kabhi anjaane mein. But usi se sambhal pana yahi zindagi ka doosra naam hai.
Main hamesa hi kahta hoon ki zindagi ki sari sachhaiyan aap bade hi asaani se ekdam nirmal bhavon se vyakt kar deti hai, har koi yah nahi kar pata.
Dhanyavaad.
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