वरदान
>> Tuesday, August 5, 2008
खुशी का बस..
एक पल माँगा था
उसने उदार होकर
अपार भंडार दे दिया
प्रसन्नता की बस एक
लहर माँगी थी......
उसने पूरा पारावार दे दिया
तृप्ति का,सुख का
बस एक कण माँगा था
उसने उल्लास का....
दरिया ही बहा दिया
उसकी उदारता से
अभिभूत हो गयी हूँ
और कुछ भयभीत भी
हो गयी हूँ.....
क्या इतना सुख
सँभाल भी पाऊँगी ?
आनन्दातिरेक से
पागल तो नहीं हो जाऊँगी ?
23 comments:
मैने ज़िन्दगी से
खुशी का बस..
एक पल माँगा था
उसने उदार होकर
अपार भंडार दे दिया
बहुत सुंदर लिखा है शोभा जी ..
बहुत सुन्दर शोभा जी, अगर जिन्दगी में उम्मीद से दुगना मिल जाये तो यह समझिये कि जिन्दगी भर आप इश्वर के ऋणी हो गये हैं.
भावुक हो कर लिखा है...
शोभा जी आपने यह कविता नहीं दर्शन लिखा है। बेहतरीन..
***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत खुब,आप की आज की पोस्ट जिन्दगी से भरपुर हे, बहुत खुब, बहुत ही अच्छी रचना लिखी हे,धन्यवाद
बहुत बढिया.
शोभा जी ,
आपकी कविता आपकी सकारात्मक सोंच का दर्शन कराती है.
इश्वर ने जितना भी कतरा आपको दिया उसी में आपको पारावार दिखना , उसी में संतुष्टि प्राप्त हो जाना आपकी महानता को ही इंगित करता है.
चन्द्र मोहन गुप्त
आप की ये पंक्तियां पढ़ कर बहुत अच्छा लगा, धन्यवाद.
अभिभूत और भयभीत का अच्छा शब्द संयोजन बन पडा है -कविता भी संक्षिप्त और अछ्ही बन पडी है .
बहुत खूब.
हम सब इसी ढंग से सोचें तो दुखों का ग़मों का नामोनिशान मिटा देंगे.
बहुत अच्छे
आभार.
अति सुंदर। हमारी शुभकामना है कि आप की जिंदगी इसी तरह खुशियों से दामन भरती रहे। लेकिन आनंदातिरेक से पागल होने की बात न करें, इससे हम भयभीत होते हैं :)
बहुत सुन्दर शोभा जी,बहुत बढिया.
Positive vichar dhara se bhari puri kavita hai yah. Agar her koi vyakti use jo kuchh mila hai us ko aap ki tarah hi poora hi maan kar chale yaa aisa maan le ki jitna maanga tha us se jyada hi mila hai, kahin koi dukhi nahi rahega. Manushya ke vicharon mein yahi goon ki avashyakta hai. Haan jitna aur jo bhi mila hai use pacha pana ya use sambhal paan bahot hi kathin hai aur isi goon wala vyakti sukhi rah sakta hai.
बहुत सुंदर
सकारात्मक
जीवन के प्रति कृतज्ञता से
आपूरित सहज अभिव्यक्ति.
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बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन
मैने ज़िन्दगी से
खुशी का बस..
एक पल माँगा था
उसने उदार होकर
अपार भंडार दे दिया
" a beautiful poetry full of joy, energy and life"
Regards
aanand len in kshano ka
उसकी उदारता से
अभिभूत हो गयी हूँ
और कुछ भयभीत भी
हो गयी हूँ...
बहुत सुंदर!
बहुत सुंदर........
गीता में एक श्लोक है-
सर्वधर्मानपरित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापयेभ्यो मोक्षिश्यामि मा शुच:।।
ईश्वर कहता है चिंता मत कर, और जो सारी चिंताएं छोड़कर उसका हो गया, उसके संरक्षक तो फिर ईश्वर ही हैं। और तभी शायद मिलता है उम्मीद से दोगुना।
अच्छा लिखा है...साधुवाद।
सादर,
पंकज शुक्ल
बहुत सुन्दर शोभा जी
महेंद्र मिश्रा जबलपुर.
पुराना ब्लॉग समयचक्र खो गया है
This creation is indeed full of life..ishwar ko thanks kehne ka isse achcha tarika aur kya hoga..all the best...
wah wah kya baat hain
Bahoot sundar kavita hai, bahoot hi pyari hai, mere mann mein basi hui hai ye kavita. Bahoot hi khas hai ye kavita mere liye.
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