मेरे अनुभव को अपनी प्रतिक्रिया से सजाएँ

बिजली की परेशानी पर

>> Wednesday, August 27, 2008

बिजली की परेशानी पर
जब सवाल हमने उठाया
उन्होने मुसकुरा कर
हमें ही दोषी बताया
बोले-------
यह परेशानी भी
तुम्हारी ही लाई है
सच-सच बताओ-
ये बिजली तुमने
कहाँ गिराई है ?
--------------------

तुम्हारी बातें भी अब
दिल तक पहुँच नहीं पाती हैं
बात शुरू होते ही--
बिजली चली जाती है--


प्रतिपल आती -जाती
बिजली से दुःखी हो
हमने बिजली दफ्तर में
गुहार लगाई
विद्युत अधिकारी ने
लाल-लाल आँखें दिखाई
अजीब हैं आप--
हम पर आरोप लगा रहे हैं
अरे हम तो आपका ही
खर्च बचा रहे हैं
इस मँहगाई में
बिजली हर समय आएगी
तो बिजली का बिल देखकर
आप पर------
बिजली नहीं गिर जाएगी ?

हे कृष्ण

>> Friday, August 22, 2008

हे कृष्ण
आज सारा भारत

पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा से
तुम्हें नमन कर रहा है ।
हे योगीराज
जितेन्द्रिय
परम ग्यानी
परम प्रिय
तुम्हारी भक्ति की धारा
एक पवित्र भाव बनकर
दिलों में बह रही है ।
किन्तु हे परम प्रिय
परम श्रद्धेय
तुमने गीता में
सबको आश्वासन क्यों दिया?
स्वयं कर्म योगी होकर भी
सबको परमुखापेक्षी
क्यों बना दिया ?
अब दुःख आने पर
लोग संघर्ष नहीं करते
तुम्हें पुकारते हैं ।
हे जितेन्द्रिय
तुम्हारे भक्त कामनाओं
के दास बन चुके हैं ।
भक्ति तो करते हैं
पर कर्म तज चुके हैं ।
अन्याय से दुखी तो होते हैं
पर उसका प्रतिकार
नहीं कर पाते ।
कब तक हम प्रतीक्षा करेंगें?
हमें बल दो कि हम
खुद अन्याय से लड़ पाएँ ।
तभी तम्हारा जन्म
दिवस मनाएँ
सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएँ
सच्ची भक्ति कर पाएँ ।
जय श्री कृष्ण

स्वाधीनता दिवस….

>> Monday, August 18, 2008


जश्न,उत्सव
देशभक्ति गीत और भाषण
और देशभक्ति
नदारद

शहीदों को श्रद्धांजलि
ध्वजारोहण
इतिहास का गौरव गान
बड़े-बड़े वादे
बधाइयों का आदान-प्रदान
और कर्तव्यों की इति

कुछ ही देर बाद
देश को लूटने की योजनाएँ
एकता पर प्रहार
वोट की राजनीति
और कुटिल अट्टाहस

और जनता…..
नेताओं पर दोषारोपण
आरोप-प्रत्यारोप
अपने कर्तव्यों से अंजान
मेरा देश महान

मेरे भइया

>> Saturday, August 16, 2008




मेरे भइया को संदेशा पहुँचाना
ओ चन्दा तेरी जोत बढ़े

आओ एक इतिहास बनाएँ

>> Thursday, August 14, 2008

आओ एक इतिहास बनाएँ

वैर भाव से त्रस्त हृदयों को

शीतल चन्दन लेप लगाएँ

 

सदियों तक तड़पी मानवता

धर्म जाति की अग्नि में

मन्दिर-मस्ज़िद के झगड़ों से

छलनी हैं सबके सीने

आओ मिलकर कोशिश कर लें

सच्चा एक इन्सान बनाएँ

 शंकर को फिर से ले आएँ

सच्चा मानव धर्म सिखाएँ

 

पश्चिम ने पूरब को घेरा

जीत रही है भौतिकता

धन के पीछे भाग रहे हैं

धक्के खाती नैतिकता

आओ अपने बच्चों को फिर

पूरब का आदर्श दिखाएँ

विवेकानन्द को फिर ले आएँ

भारत की फिर शान बढ़ाएँ

उसको विश्व विजयी बनाएँ

 

देश प्रेम की झूठी चर्चा

संसद में नेता करते हैं

लूट देश को जेबें भरते

बड़ी-बड़ी ये बातें करते

आओ इनके षड़यंत्रों को

हम सब मिलकर विफल बनाएँ

भगत सिंह के फिर ले आएँ

मिलकर अपना राष्ट्र बचाएँ

 

 

गीली मिट्टी हाथ हमारे

पूरे कर लें सपने सारे

सद्भावों का रंग ले आएँ

देश भक्ति का जल बरसाएँ

अदभुत् सुन्दर मूर्ति बनाएँ

भारत माता के चरणों में

अपनी अनुपम भेंट चढ़ाएँ

अपना गुरुत्तर भार निभाएँ

आओ एक इतिहास बनाएँ

मँहगाई

>> Monday, August 11, 2008


रोज बढ़ जाती हैं ज़ालिम कीमतें

क्या खरीदूँ और किसका नाम दूँ


हर कदम मँहगाई का दानव खड़ा

कैसे अपने दिल को मैं आराम दूँ।

आरजूएँ दफ्न होकर रह गईं
भूख को अब किस कुँए में डाल दूँ


रिश्ते-नाते भी हुए बेज़ान से
ज़ेब में कौड़ी नहीं जो बाँट दूँ

हैं सजे बाज़ार छाई रौनकें
एक चादर इनपे लाओ डाल दूँ।

आँख में चुभती हैं लाखों ख्वाइशें
दर्द इनका आँसुओं में ढ़ाल दूँ।

जल रहा है देश इसकी आग में
अब शुभी किसको यहाँ इल्ज़ाम दूँ।

वरदान

>> Tuesday, August 5, 2008


मैने ज़िन्दगी से
खुशी का बस..
एक पल माँगा था
उसने उदार होकर
अपार भंडार दे दिया

प्रसन्नता की बस एक
लहर माँगी थी......
उसने पूरा पारावार दे दिया
तृप्ति का,सुख का
बस एक कण माँगा था
उसने उल्लास का....
दरिया ही बहा दिया

उसकी उदारता से
अभिभूत हो गयी हूँ
और कुछ भयभीत भी
हो गयी हूँ.....
क्या इतना सुख
सँभाल भी पाऊँगी ?
आनन्दातिरेक से
पागल तो नहीं हो जाऊँगी
?

  © Blogger template Shiny by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP