अनेकता में एकता
>> Wednesday, June 4, 2008
अनेकता में एकता
मेरे भारत की विशेषता
यही पाठ पढ़ा-
और यही पढ़ाया
किन्तु प्रत्यक्ष में
एकता का
कहीं दर्शन ना पाया
कभी धर्म के नाम पर
खुले आम घर जले
मन्दिर मस्ज़िद टूटे
लाखों बर्बाद हो गए
, फिर भी हमने…….
धर्म निरपेक्षिता की
डींगे हाँकी….
प्रान्तीयता के आधार पर
देश के सर्वोच्च पद का निर्धारण
राष्ट्रीयता के हृदय पर
एक बड़ा आघात
और सारा देश चुप…..
पद का सही उम्मीदवार
अपमान सह गया
और राष्ट्र मूक रह गया
और आज फिर..
एक ओर……..
प्रान्तीयता की आवाज़
कानों में शीषा डाल रही है
देश के हर नागरिक को
किंकर्तव्य विमूढ़ बना रही है
आशा की किरणें बहुत
क्षीण होती जा रही हैं
और हम गर्व से
राष्ट्रीयता का…..
राग आलाप रहे हैं
डींगें हाँक रहे हैं
दूसरी ओर……
आरक्षण का राक्षस
अपनी बाँहें फैला रहा है
और सारा देश विवशता से
कैद में कसमसा रहा है
यह आरक्षण की माँग है या
सुरसा का मुँह
जो निरन्तर बढ़ता ही जारहा है
कोई भी आश्वासन
काम नहीं आरहा है।
भारत माता शर्मिन्दा है
अपनी सन्तान के
कुकृत्यों पर
उसका अंग-अंग
पीड़ा से कराह रहा है
ना जाने कौन ये
जहर फैला रहा है
कोई भी उपाय
काम नहीं आ रहा है
मेरे देश की आशाओं
देश को यूँ ना जलाओ
माँ के घावों पर
थोड़ा सा मरहम भी लगाओ
हम एक हैं
फिर से ये प्रतिग्या दोहराओ
दे दो विश्वास जो
खोता जा रहा है
देश के हर कोने से
यही आग्रह और
यही स्वर आरहा है
9 comments:
aaj ke bharat ka bilkul sahi chitran,kab badlega ye sab,ek din jarur badlega shayad
यही इस देश की विडंबना है
सही कह रही हैं:
देश को यूँ ना जलाओ
माँ के घावों पर
थोड़ा सा मरहम भी लगाओ
-
कड़वी पर सच्ची तस्वीर.
विडम्बना ही है.
शोभा जी,
सुन्दर भावभरी रचना के लिये बधाई.
अगर हम अपने देश की एक सुन्दर देह से तुलना करें और उसको माईक्रोस्कोप से देखें तो सुन्दर देह पर भी बहुत से बेकटिरिया रेंगते नजर आ जायेंगे..बस यही हाल देश का है... यहां सब कुछ है... शायद अच्छाई ज्यादा है मगर पहली नजर हमारी बुराई पर ही जाती है इसीलिये हम परिस्थितियों से परेशान हो जाते हैं... प्रशन भी हम हैं और उत्तर भी हमें ही तलाशने हैं
आपकी पीड़ा वाजिब है ,ज्यू ज्यू हम आधुनिक हुए है ...मानसिक तौर पर उतने ही असहनशील ओर कुंद होते जा रहे है......
जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है. जो हर सच्चे हिन्दुस्तानी के मन में है वह आपने कागज़ पर लिख दिया.
Nice article on the burning situation of our country - OUR MAA. But tilll the time people are well educated, we will have to face such situations. No one knows for how long!!!!!!!!
hey!datz a veri nyc n hwart touching article
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