मैंने देखा एक पिता
एक नन्ही बालिका की
मधुर मुस्कान पर
सुध-बुध भूला पिता……
.आँखों से छलकतीस्नेह की गागर
लबालब वात्सल्य छलकाती थी
और बालिका एक किलकारी
अतुल्य दौलत दे जाती थी
क्रूर, कठोर, निर्दय जैसे विशेषण
दयालु, कोमल और बलिदानीमें
ढल गए....
बेटी को देख……
सारे हाव-भाव बदल गए
क्या यह वही पुरूष है
जिसे नारी शोषक और
अत्याचारी समझती है ?
ना ना ना .......
ये तो एक पिता है
जो बेटी को पाकर
निहाल हो गया है
ममता की यह बरसात
जब और आवेग पाती है
पत्नी से भी अधिक प्रेम
बेटी पा जाती है
प्रेम की दौलत बस
बेटी पर बरस जाती है
और प्रेम की अधिकारिणी
प्रेम से वंचित रह जाती है
प्रेमान्ध पिताघरोंदे बनाता है
अपने सारे सपने
बेटी में ही पाता है
पर बेटी के ब्याह पर
बिल्कुल अकेला रह जाता है
पिता और पुत्री का
एक अनोखा ही नाता है
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8 comments:
एक बेटी का गौरवशाली पिता होने के नाते कह सकता हूँ कि बेटी अनमोल होती है और अनोखा रिश्ता होती है पिता-पुत्री। बहुत संवेदित करती हुई रचना..
***राजीव रंजन प्रसाद
मर्मस्पर्शी रचना... पिता और पुत्री का रिश्ता अनोखा ही होता है। पिता का स्नेह पुत्री के अंदर आत्मबल व सुरक्षा की भावना को बढ़ाता है तथा उसका बेहतर मानसिक विकास होता है। उसी प्रकार पुत्री की निश्छल खिलखिलाहट से पिता दुनिया के तमाम रंजोगम भूल जाता है।
बहुत ही उम्दा भावपूर्ण रचना.
बहुत ही अच्छी रचना ।
आपकी इस कविता ने बहुत कुछ याद दिला दिया।
सही कहतीं हैं आप ... सच में ये अनोखा नाता है... बहुत सुंदर रचना.
बहुत सुंदर उम्दा भावपूर्ण रचना
"पर बेटी के ब्याह पर
बिल्कुल अकेला रह जाता है
पिता और पुत्री का
एक अनोखा ही नाता है"
धन्यवाद, शोभा जी!
आपने मर्म को छू दिया, पिता - पुत्री के प्यार की तुलना पत्नी से नही हो सकती, पत्नी से प्राक्रतिक स्नेह विरले ही मिलता है परन्तु पुत्री को पिता अपनी जान से अधिक प्यार करता है और पुत्री ताजीवन पिता की और ही देखती रहती है चाहे वो कहीं भी रह रही हो ! मेरी एक लम्बी कविता पुत्री को समर्पित है, एक पिता का ख़त पुत्री के नाम, जब मेरी बेटी ४ साल की थी तब लिखी थी, जल्दी ही प्रकाशित करूंगा, शायद आप पसंद करें !
इतनी सुंदर मर्म स्पर्शी कविता के लिए दुबारा धन्यवाद !
"पर बेटी के ब्याह पर
बिल्कुल अकेला रह जाता है
पिता और पुत्री का
एक अनोखा ही नाता है"
A great write up Shobhaji. YOu have really touched the heart of every father on the land. I dont know why but you have always found a man harming a woman. This is the first time that he is shown a hero in the life role of a daughter, woman, lady. Anyways, only a father of a daughter can feel the feelings at the time of his daughter's marriage and how feels alone after this day. Congratulations to you on such a beautiful article.
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