कभी-कभी ......
>> Wednesday, June 25, 2008
कभी-कभी हम सब
साथ रहते हुए भी -
कितने अज़नबी हो जाते हैं ?
एक दूसरे की व्यथा, वेदना,पीड़ा,
समझ ही नहीं पाते हैं ?
वैसे हम सगे हैं और अपने भी-
फिर भी -
एक दूसरे को
तनाव, चुभन व दर्द
ही क्यों दे जाते हैं ?
ये सच है कि-
दिल में प्रधान प्रेम ही है-
फिर भी ------
उपेक्षित और असुरक्षित
क्यों हो जाते हैं ?
एक दूसरे को समझना
क्या इतना कठिन काम है ?
फिर जन्मों का बन्धन-
क्यों ठहराते हैं ?
कहीं अनेक जन्मों से-
उलझते तो नहीं जा रहे हैं ?
करीब आने की धुन में-
दूर तो नहीं जा रहे हैं ?
ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं -
जिनके उत्तर कभी नहीं मिलते ।
इसीलिए दिल के ऑंगन में-
सुरभित- सुन्दर फूल नहीं खिलते ।
12 comments:
करीब आने की धुन में-
दूर तो नहीं जा रहे हैं ?
ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं -
जिनके उत्तर कभी नहीं मिलते ।
वाह बेहद सुंदर इनके जवाब सच में कहीं नही मिलते शोभा जी
ek dam sachi sahi baat kahi,hum bas sab ristey taken for granted le lete hai aur duriyan badh jati hai,prem dafan,bahut achhi kavita,badhai
शोभा जी कविता के प्रश्नों के उत्तर मिल जाए तो हर जगह सुख-शान्ति हो जाए।
पर वही ये सारे अनबूझे से प्रश्न है।
बहुत अच्छी कविता।
बहुत दिनों बाद 'अनुभव' में आपकी रचना पढ़ने को मिल रही है। सकारात्मक भावों से ओत-प्रोत आपकी कविताओं को पढ़ना अच्छा लगता है।
बिल्कुल सही कहा आपने,आपके अनुभवों को पढ़ना अच्छा लगता है.
आलोक सिंह "साहिल"
aaj aapne bahut dil se likha hai...
bahut acchhey bhaav hain SHOBHA JI
करीब आने की धुन में-
दूर तो नहीं जा रहे हैं ?
ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं -
जिनके उत्तर कभी नहीं मिलते ।
bhut aache.ati sundar.
बहुत सही लिखा है आप ने. बहुत बढ़िया.
ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं -
जिनके उत्तर कभी नहीं मिलते ।
--खोजिये भी मत इनके जबाब और जो पल जैसे आये उसी में खुशी खोजिये...खिंलेगे, जरुर खिलेंगे:
दिल के आँगन में
सुरभित- सुन्दर फूल ....
--बढ़िया लिखा है.
सुन्दर भाव हैं
करीब आने की धुन में-
दूर तो नहीं जा रहे हैं ?
ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं -
जिनके उत्तर कभी नहीं मिलते ।
Insaani rishton ki yahi ek vidambana hai, jo jitna jyada jiske kareeb hota hai, utna hi wah us se door ho jata hai. Apne paraye lagne lagte hai aur paraye apne ho jate hai. Yahi jeevan ki sachhai hai Shobhaji.
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