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शहीदे आज़म

>> Saturday, September 27, 2008


आज शहीदे आज़म भगत सिंह जी की जन्म तिथि है. उस वीर की जिसने अपनी इच्छा शक्ति से पुरे युग को प्रभावित किया था. उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी मृत्यु भय से मुक्ति. उन्होंने मरने की कला में महारथ हासिल किया था.. उनका मानना था कि तिल-तिल मरने से अच्छा है गौरव शाली ढंग से स्वयं मृत्यु का वरण करना. अपने अधिकारों के लिए पूरी तेयारी के साथ संघर्ष करना . उनकी मृत्यु को जीवन सलाम करता है.
उनके आदर्श थे -शहीद करतार सिंह.वे अक्सर कहा करते थे-ब्रिटिश हुकूमत के लिए माराहुआ भगत सिंह जिंदा भगत सिंह से ज्यादा खतरनाक साबित होगा और वही हुआ भी. उन्होंने अदालत में कहा था- इन्कलाब की तलवार विचारों के साथ तेज़ हो जाती है. उनकी शहादत भावुकता नहीं क्रांति धर्मी चेतना थी.उन्होंने यह कहते हुए बम फोड़ा - बहरों को सुनाने केलिए बुलंद आवाज की जरुरत होती है.
वे जगह-जगह पर्चे बांटते थे और अपने लेखों द्वारा लोगों को प्रेरित करते थे. अपनीजेल डायरी में उन्होंने सोद्देश्य मृत्यु का उल्लेख किया है. २३ मार्च की शाम ७ बजे उन्हें फांसी पर लटका दिया गया . २४ साल के बालक ने वो कर दिया जो बड़े बुजुर्ग न कर सके.उन्होंने क्रांति का बीज बो दिया. देश को स्वतंत्रता, समाजवाद और धर्म निरपेक्षता का महत्व बता दिया. इसी का परिणाम था कि आजादी के बाद समाज में लोकतंत्र की स्थापना हुई . अपने विचारों के रूप में वो आज भी जिन्दा हैं. देश उन्हें शहीद नहीं शहीदे आजम कहता है. उस पवित्र आत्मा को सादर नमन.

11 comments:

cartoonist ABHISHEK September 27, 2008 at 5:20 PM  

शहीदे-आजम को लाखों- करोड़ों बार नमन....

मीत September 27, 2008 at 5:53 PM  

सच तो ये है की आज हम इन सब की कुर्बानियों को भूलते जा रहे हैं....
जैसे की मैं, मैं सुबह लिखना तो चाहता था भगत सिंह पर लेकिन फिर मन में आया की कहीं ये पंक्तियाँ (जिस पर मैंने कविता लिखी है) मेरे दिमाग से निकल ना जाएँ.. और मैं भगत सिंह के लिए लिखना भूल गया...
पर साथ ही मैं ये भी जनता था की मेरा कोई ना कोई ब्लोगी साथी उन पर जरुर लिखेगा तो उसे टिप्पणी दूंगा और शुक्रिया भी कहूँगा....
आपका बहुत शुक्रिया...
और भगत सिंह को सेल्यूट..

अविनाश वाचस्पति September 27, 2008 at 6:07 PM  

नमन
में
लग रहा
है मन।

राज भाटिय़ा September 27, 2008 at 6:43 PM  

शहीदे-आजम भगत सिंह को मेरा प्राणाम आज शहीदो की कुर्बानियो की मेहरबानी से हम आजाद हे.
आप का भी धन्यवाद

MANVINDER BHIMBER September 27, 2008 at 7:39 PM  

saheed bhagat singh ko mai selute karti hun

प्रदीप मानोरिया September 27, 2008 at 9:20 PM  

२४ साल के बालक ने वो कर दिया जो बड़े बुजुर्ग न कर सके.उन्होंने क्रांति का बीज बो दिया. देश को स्वतंत्रता, समाजवाद और धर्म निरपेक्षता का महत्व बता दिया. इसी का परिणाम था कि आजादी के बाद समाज में लोकतंत्र की स्थापना हुई
लाज़बाब ... मेरे ब्लॉग पर सरकारी दोहे पढने के लिए आपको सादर आमंत्रण है

रंजू भाटिया September 27, 2008 at 9:29 PM  

नमन है .पर आज फ़िर से जरुरत है ऐसे बहादुर वीरों की ..

श्रीकांत पाराशर September 27, 2008 at 10:14 PM  

Kash! Shahid bhagat singh ki bahaduri aur desh bhakti se hamare sab deshwasi kuch seekh lete. Us veer aur deshpremi ko salam.

समयचक्र September 27, 2008 at 10:22 PM  

महान देश भक्त राष्ट्र वीर को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ . स्मरण कराने के लिए आभार .

Ashok Pandey September 27, 2008 at 10:28 PM  

शहीदे आजम भगत सिंह को शत शत नमन। हमारी क्रांति चेतना के प्रतीक इस महानायक का स्‍मरण कराने के लिए शोभा जी आपका आभार।

BrijmohanShrivastava September 28, 2008 at 1:14 PM  

महोदय ,जय श्रीकृष्ण =मेरे लेख ""ज्यों की त्यों धर दीनी ""की आलोचना ,क्रटीसाइज्, उसके तथ्यों की काट करके तर्क सहित अपनी बिद्वाता पूर्ण राय ,तर्क सहित प्रदान करने की कृपा करें

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