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मेरी कविता मेरी आवाज

>> Wednesday, September 10, 2008

3 comments:

राज भाटिय़ा September 11, 2008 at 11:26 PM  

शोभा जी आज आप की कविता भी सुन ली, आप की आवाज बहुत मिठ्ठी हे, ओर कविता भी सुन्दर हे, इन दोनो के लिये धन्यवाद

महेन्द्र मिश्र September 12, 2008 at 2:03 PM  

badhiya kavita unane ke liye dhanyawaad.

Smart Indian September 13, 2008 at 9:37 AM  

बिखर गए मोती सारे
आँख हुई भारी

बहुत सुंदर! पढ़ना, सुनना बहुत अच्छा लगा! Excellent!

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