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मेरा अभिमान है हिन्दी

>> Friday, September 14, 2012


हिन्दी दिवस की पूर्व सन्धया पर

 कुछ लिखने को कलम उठाया

 हिन्दी को एक ओर उपेक्षित सा पाया

 उसकी यह दशा दिल को हिला गई

 मेरे दुखते मन में अनेक प्रश्न उठा गई

 जो भाषा संस्कार देती है

 माता का प्यार देती

है बहन का दुलार देती है

 फूलों का हार देती है

 उसकी उपेक्षा?

 क्रत्घनता नहीं तो क्या है?


 कब तक राष्ठ्र भाषा यों धक्के खाएगी?

 हमारी अस्मिता कब तक सो पाएगी?

 परायों का आदर और अपनों का अनादर?

 ऐसी स्थिति कब तक रह पाएगी ?

 संकल्प लेती हूँ आज

 हिन्दी ही करेगी दिलों  पर राज

 अपनी भाषा को देंगें सम्मान

 करने ना देंगें किसी को अपमान

 क्योंकि

 हमारी पहचान है हिन्दी

 हमारा अभिमान है हिन्दी


 शोभा महेन्द्रू

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