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मेरे मन

>> Sunday, July 29, 2007


सावधान मन
सावधान मन
भावनाओं का वेग आ रहा है ।
इसकी लहरों में तीव्रता है ।
ये तुम्हें गंतव्य से दूर
ले जाकर पटक देंगीं ।
इसकी मधुर ध्वनि ,
सुकुमार छवि और
मनमोहक अदा न देख
ये तुझे सत्य से दूर
बहुत दूर ले जाएँगी ।
इस मदहोशी में
तू कब कहाँ
पहुँच जाएगा
कभी जान भी ना पाएगा ।
अगर कुछ देखना ही है
तो विनाश के दृश्य देख
जो इसके बाद आएँगे ।
जब तू आसक्ति के पाश में
कसमसाएगा ।
तेरी विवशता
कोई समझ भी
नहीं पाएगा ।
तू खुद ही
स्वयं को धिक्कारेगा ।
क्या उस दृश्य को
सहन कर पाएगा ?

1 comments:

Rajesh July 30, 2007 at 12:43 PM  

Bhavna o ke veg ki tivra laharon mein man ke bhatak janeka hamesha dar sa rahta hai, achhi sunahari manmohak adaon ke saath hi uske doosre palloo ko dekhna bhi ati avashyak hai, jo jindagi ki sachhai ko batata hai......
bahot sunder rachna hai

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