नारी तुम केवल सबला हो
>> Saturday, March 8, 2008
केवल सबला हो
निमर्म प्रकृति के फन्दों में
केवल सबला हो ।
विष देकर अमृत बरसाती
विषदन्त पुरूष की निष्ठुरता
करूणा के टुकड़े कर जाती
विस्मृति में खो जाती ऐसे
जैसे भूला सा पगला हो
नारी तुम....
केवल सबला हो
कब किसने तुमको माना है
कब दर्द तुम्हारा जाना है
किसने तुमको सहलाया है
बस आँसू से बहलाया है
जिसका भी जब भी वार चला
वह टूट पड़ा ज्यों बगुला हो ।
नारी तुम--
केवल सबला हो
तुम दया ना पा ठुकराई गई
पर फिर भी ना गुमराह हुई
इस स्नेह रहित निष्ठुर जग में
कब तुमसी करूणा-धार बही ?
जिसने तुमको ठुकराया था
उसके जीवन की मंगला हो ।
नारी तुम --
केवल सबला हो
कब तक यूँ ही जी पाओगी ?
आघातों को सह पाओगी ?
कब तक यूँ टूटी तारों से
जीवन की तार बजाओगी ?
कब तक सींचोगी बेलों क
उस पानी से जो गंदला हो ?
नारी तुम ---
केवल सबला हो
लो मेरे श्रद्धा सुमन तम्हीं
कुछ तो धीरज पा जाऊँ मैं
अपनी आँखों के आँसू को
इस मिस ही कहीं गिराऊँ मैं
तेरी इस कर्कष नियती पर
बरसूँ ऐसे ज्यों चपला हो ।
नारी तुम --
केवल सबला हो
मेरी इच्छा वह दिन आए
जब तू जग में आदर पाए ।
दुनिया के क्रूर आघातों से
तू जरा ना घायल हो पाए
तेरी शक्ति को देखे जो
तो विश्व प्रकंपित हो जाए ।
यह थोथा बल रखने वाला
नर स्वयं शिथिल-मन हो जाए ।
गूँजे जग में गुंजार यही-
गाने वाला नर अगला हो
नारी तुम....
केवल सबला हो ।
नारी तुम केवल सबला हो ।
8 comments:
mahila diwas par ek saarthak kavita, kaash ki sab ye baat samajh paate.
t sabal sashakt kavita sundar nari divas ki badhai
उत्तम रचना...
महिला दिवस की बधाई...सुन्दर रचना है शोभा दी
वस्तुतः नारी को लेकर पुरुष दुविधा में हैं क्योंकि नारी के बगैर काम चल नहीं सकता और इसे बराबरी का दर्जा देना भी मुश्किल है। पुरुष के पास शारीरिक शक्ति तो है, लेकिन वह पीड़ा नहीं झेल सकता और अब मसल्स का काम तो मशीन करने लगी है,लेकिन पीड़ा झेलने का काम कोई मशीन नहीं कर सकती। आज जरूरत है एक नए समाज की
और इसकी रचना नारी ही करेंगी।
विष देकर अमृत बरसाती
हाँ ढ़ाँप रही कैसी थाती ।
विषदन्त पुरूष की निष्ठुरता
करूणा के टुकड़े कर जाती
विस्मृति में खो जाती ऐसे
जैसे भूला सा पगला हो
नारी तुम....
केवल सबला हो
सुंदर पंक्तियाँ ..... काव्य का जो विशेष स्वरुप यहाँ निखरा है वह अविस्मरनीय है
महिला दिवस पर सभी महिलाओं को शुभकामनाएं
मेरी इच्छा वह दिन आएजब तू जग में आदर पाए ।दुनिया के क्रूर आघातों सेतू जरा ना घायल हो पाएतेरी शक्ति को देखे जोतो विश्व प्रकंपित हो जाए
In fact, Nari divas per likhi hui yah kavita sach hi mein naari ko bal dene wali sabit ho sakti hai...
बहुत सुंदर रचना है, बधाई ! एक एक शब्द मन को छू जाता है, मेरी शुभकामनाएं !
सतीश
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