बरस गए हैं मेरी आँखों में
हज़ारों सपने
महकने लगे हैं टेसू
और मन
बावला हुआ जाता है
सपनों की कलियाँ
दिल की हर डाल पर
फूट रही है
और ये उपवन
नन्दन हुआ जाता है
समझ नहीं पा रही हूँ
ये तुम हो या मौसम
जो बरसा है
मुझपर
फागुन बनकर
बहुत भाव भीनी रचना है।अच्छी लगी।धन्यवाद।
February 18, 2009 12:09 PM
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना .अच्छी लगी.बधाई.
February 18, 2009 12:48 PM
सच में आ गया फागुन आपकी लिखी कविता पढ़ कर यही लगा सुंदर लिखा आपने
February 18, 2009 12:52 PM
सुन्दर रचना... होली की आमद का खाका खींच दिया आपने.
February 18, 2009 2:57 PM
सुन्दर रचना, मानो फागुन का साक्षात्कार हो गया आपकी कविता में!
February 18, 2009 6:03 PM
अरे वाह आप की कवित मै तो सच मुच फ़ागुन का मजा आ गया, बहुत सुंदर धन्यवाद
February 18, 2009 11:10 PM
अरे फागुन आ गया??
फागुन के आते ही पिया का इंतज़ार करती यह कविता सुंदर लगी.
February 19, 2009 1:33 AM
fagun par rangon ki bauchaare karne ko taiyaar hai ham bhi
sambhalanaa jaraa pakke rangon se
bagai paani shabdon ki holi blog par hi kheli jaayegi
February 19, 2009 10:57 AM
बहुत सुन्दर कविता बड़े दिनो बाद आया और पहली ही कविता अच्छी लगी।
February 22, 2009 1:39 AM
श्रृंगारपूर्ण ....आशावादी !
February 22, 2009 9:01 AM
रूमानी जज्बातों से परिपूर्ण एक सुन्दर रचना है जिसके लिए आपको निश्चित रूप से बधाई दी जानी चाहिए।
February 25, 2009 3:21 PM
posted by शोभा at 11:55 PM on Dec 28, 2008
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25 comments:
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
ला जवाब रचना है...वाह...बहुत ही मखमली से ख्याल हैं...
नीरज
ये तो दोनों ही लगते हैं "वो" भी और "मौसम" भी तभी तो इतने अच्छे भाव फ़ूटे दिल से
सर्दियों की धूप की की गुनगुनाहट लिए ....बहुत सुन्दर !!!
शानदार अभिव्यक्ति...
बहुत सुन्दर लगी यह रचना आपकी शोभा जी
bahut khubsurat bhav waah
fag ke makhamali khoobsurat khyaal ....achche lage
सुन्दर और मनोरम रचना!
भावों से भरी हुई रचना
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
आपने भावों के जो खूबसूरत रंग बिखेरे शब्दों के माध्यम से ,हम भी उसमे पूरी तरह रंग गए.
बहुत ही भावः पूर्ण रचना है. बहुत बढिया.
बहुत ही सुंदर ओर भाव पुर्ण रचना.
धन्यवाद
jangal ki aag
tesu ko kahte hai
dil ki aag
fagun ko kahte hai
jivan me bikhraave rang
use holi kahte hai
binaa pani range
use rangoli kahte hain
aap ne jo yaad dilaai
use thitholi bhi kahte hain
ख्यालात के इज़हार का बड़ा ही नफ़ीस अंदाज़
मौसम की इठलाती हुई करवटों से गुफ्तगू
नज़्म कह लेने का नायाब सलीका. . . .
मुबारकबाद . . . .
---मुफलिस---
बहुत सुन्दर रचना लगी आपकी. आभार
आपकी कलम ने एक औऱ खूबसूरत रचना पेश किया है आपको बधाई
हवा में बौराई मादकता
टेसू के फूलों का चटख रंग
धूप छाँव कीअठखेल में
उनींदी आँखे, दुखते से अंग
अल्हड़ता भरी बातें
कविता की रातें ......
फागुन लगता है आपके ब्लॉग पर ही नहीं सभी जगह आ गया .... शुभ कामना
"समझ नहीं पा रही हूँ
ये तुम हो या मौसम"
बड़ा ही भावपूर्ण वर्णन.
वाह.... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति... बधाई स्वीकारें
faguni rang mein rangi sundar kavita dil ko bha gayee...
समझ नहीं पा रही हूं
ये तुम हो या मौसम
जो बरसा है मुझपर
फागुन बनकर।
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ, बधाई।
jab ham aalochna karte he to behisaab karte he kintu jab hame taareef karni hoti he to chand pankti me vyakt kar dete he..aapki rachna taareef ke kabil he..aour me ye chand pankti me hi karunga kyuki tarif jesi bhi ho apne aap me bahut bada darza rakhti he..
समझ नहीं पा रही हूँ
ये तुम हो या मौसम
जो बरसा है
मुझपर
फागुन बनकर
Shobhaji, yah sab Fagun ke Mausam ka asar hai.
Shobhaji,
Ek baat hai ki har kisi ko iska asar nahi ata hai. Rutu ke is Yah Sunder Manbhavan ras ko abhivyakt karne aur mahsoos kar ne ke liye ek Khoobsoorat Mann ka hona bhi jaroori hai, jo aap ke paas hai...
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