फिर आया फागुन
>> Wednesday, February 18, 2009
फिर आया फागुन….
फिर आया फागुन
रंगों की बहार
तुम भी आजाओ
ये दिल की पुकार
टेसू के फूलों ने
धरती सजाई
अबीर, गुलाल ने
चाहत जगाई
कोयल की कुहू
डसे बार- बार
तुम भी आ जाओ…
….
खिलती नहीं दिल में
भावों की कलियाँ
सूनी पड़ी मेरे
जीवन की गलियाँ
तुम बिन ना मौसम में
आए बहार
तुम भी आजाओ…..
14 comments:
बहुत भाव भीनी रचना है।अच्छी लगी।धन्यवाद।
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना .अच्छी लगी.बधाई.
सच में आ गया फागुन आपकी लिखी कविता पढ़ कर यही लगा सुंदर लिखा आपने
सुन्दर रचना... होली की आमद का खाका खींच दिया आपने.
सुन्दर रचना, मानो फागुन का साक्षात्कार हो गया आपकी कविता में!
अरे वाह आप की कवित मै तो सच मुच फ़ागुन का मजा आ गया, बहुत सुंदर धन्यवाद
अरे फागुन आ गया??
फागुन के आते ही पिया का इंतज़ार करती यह कविता सुंदर लगी.
fagun par rangon ki bauchaare karne ko taiyaar hai ham bhi
sambhalanaa jaraa pakke rangon se
bagai paani shabdon ki holi blog par hi kheli jaayegi
बहुत सुन्दर कविता बड़े दिनो बाद आया और पहली ही कविता अच्छी लगी।
श्रृंगारपूर्ण ....आशावादी !
रूमानी जज्बातों से परिपूर्ण एक सुन्दर रचना है जिसके लिए आपको निश्चित रूप से बधाई दी जानी चाहिए।
बहुत सुन्दर !!
सादर अभिवादन शोभा जी
पहले तो मेरे ब्लोग पे पधारने और स्नेहिल टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवाद
दूसरे आपकी सुन्दर कविता के लिये बहुत बधाई
स्नेह बनाये रखियेगा
डा.उदय मणि
Fagun ke is tyohar per Holi mein Tesu ke rang aap ko bahot bahot mubarak Shobhaji
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