मेरा परिचय
>> Saturday, March 21, 2009
मैं तुम पर आश्रित नहीं
स्वयं सिद्धा हूँ
तुम्हारे स्नेह को पाकर
ना जाने क्यों
कमजोर हो जाती हूँ
स्वयं को बहुत असहाय पाती हूँ
शायद इसलिए
तुम्हारे हर स्पर्ष में
प्रेम की अनुभूति होती है
उस प्रेम को पाकर
मैं मालामाल हो जाती हूँ
और अपनी उस दौलत पर
फूली नहीं समाती हूँ
अपनी इच्छा से
अपने को पराश्रित
और बंदी बना लेती हूँ
किन्तु तुम्हारा अहंकार
बढ़ते ही
मेरी जंजीरें स्वयं
टूटने लगती हैं
मेरी खोई हुई शक्ति
पुनः लौट आती है
और मैं आत्म विश्वास से भर
हुँकारने लगती हूँ
मेरी कोमलता
मेरी दुर्बलता नहीं
मेरा श्रृंगार है
यह तो तुम्हें
सम्मान देने का
मेरा अंदाज़ है
वरना नारी
कब किसी की मोहताज़ है ?
18 comments:
अच्छी कविता है.
behtreen rachna hai ...dil ke bhavon ko bahut achchhe se prastut kiya hai
bahut achchi saarthak kavita haen
नारी के लिए तो
बनाया गया सजा
ताज (महल) है।
वरना नारी कब किस की मोहताज है बिलकुल सही बात कही आपने शोभा .बहुत ही सुन्दर लफ्जों में आपने इस को व्यक्त किया
मेरी खोई हुई शक्ति
पुनः लौट आती है..
लाजवाब प्रस्तुतीकरण..
बहुत अच्छी कविता है शोभा जी, बहुत अच्छे भाव हैं। नारी के व्यक्तित्व और सोच का बढि़या परिचय दिया गया है। आज बड़े दिनों बाद आपकी रचना पढ़ पा रहा हूं, बहुत खुशी हुई।
शोभाजी
बहुत ही बढ़िया रचना और भावाभिव्यक्ति सुन्दर लगी. आभार .
बहुत अच्छे भाव ... सुदर अभिव्यक्ति ।
वाह अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकार करें
bahut hi achhi kavita hai apki kalam kisi comment ki mohtaz nahi hai fir bhi kahe bina raha nahi jata ati sunder bdhai
सीधे शब्दों में सही बात।
-----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
मेरी कोमलता
मेरी दुर्बलता नहीं
मेरा श्रृंगार है
यह तो तुम्हें
सम्मान देने का
मेरा अंदाज़ है
वरना नारी
कब किसी की मोहताज़ है ?
इतना सब-कुछः तो लिख दिया अब हम्रारे लिखने लायक कुछ नहीं......
बहुत ही बढ़िया कविता.
भावाभिव्यक्ति सुन्दर लगी.
नारी के व्यक्तित्व और सोच का बढि़या परिचय दिया .
सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें.
मेरी कोमलता ,दुर्बलता नहीं मेरा श्रृंगार है..कितनी अच्छी बात कही है आपने!
बहुत ही सुन्दर कविता लगी.
सम्पूर्ण safal भावाभिव्यक्ति
Achchi lagi aapki kavita.Badhai.
shobhajee,
aatmvishwas kee uttam abhivyakti .
aapko hindyugm par mere sanyojan 'RAMAMI RAMAM' ko sun aanand mila protsahit hoon . dhanyavad.
raj sinh 'raku'
नारी शक्ति जताने का अन्दाज पसंद आया
Post a Comment