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होली के रंग

>> Tuesday, March 10, 2009


होली के रंग
और तुम्हारी याद
दोनो साथ-साथ
आ गए….
खिले हुए फूल
और…
बरसते हुए रंग
कसक सी….
जगा गए
आती है जब भी
टेसू की गन्ध
दिल की कली
मुरझा सी जाती है
रंगों में डूब जाने की
चाहत….
बलवती हो जाती है
चेतना बावली होकर
पुकार लगाती है
और शून्य में टकराकर
पगली सी लौट आती है
फाग में झूमती
मस्तों की टोली में
बेबाक….
तुम्हें खोजने लगती हूँ
और आँखें….
अकारण ही बरस जाती हैं
होली की गुजिया
और गुलाल के रंग
बहुत फीके से लगते हैं
कानों में तुम्हारी हँसी
आज भी गूँजती है
आँखें…..
तुम्हे देख नहीं पाती
पर आस है कि
मरती ही नहीं
कानों में….
तुम्हारे आश्वासन
गूँजने लगते हैं
और…..
रंगों को हाथ में लिए
दौड़ पड़ती हूँ
दिमाग पर…
दिल की विजय
यकीन दिलाती है
तुम जरूर आओगे
और मुझे…..
फिर से
अपने रंग दे जाओगे

22 comments:

Mohinder56 March 10, 2009 at 10:45 AM  

होली पर पिया मिलन की आस का भाव लिये सुन्दर रचना..

आपको परिवार सहित होली के पर्व की शुभकामनायें. ईश्वर आपके जीवन में उल्लास और मनचाहे रंग भरें.

Arvind Mishra March 10, 2009 at 11:07 AM  

कैसी बेबस करती हैं यह विरह की कशिश भी तिस पर यह होली ! सुंदर रचना !

समय चक्र March 10, 2009 at 11:31 AM  

आपको व परिवार को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओ .

अक्षत विचार March 10, 2009 at 11:32 AM  

होली की ढेर सारी शुभकामनायें...

seema gupta March 10, 2009 at 12:34 PM  

आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से रंगीन होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं..
regards

निर्मला कपिला March 10, 2009 at 12:37 PM  

aapko holi ke rang mubaarak ho sunder abhivyakti ke liye bdhai

sanjay vyas March 10, 2009 at 2:10 PM  

होली मुबारक. कविता में होली के बिम्ब अभी भी उम्मीद जगाते है. सुंदर.

ज़ाकिर हुसैन March 10, 2009 at 4:13 PM  

बहुत शानदार विरह रचना!

आपको होली की शुभकामना

Unknown March 10, 2009 at 5:14 PM  

कुछ मायूसी लिये है ये रचना पर बेहतरीन । होली की बधाई

रंजना March 10, 2009 at 6:05 PM  

वाह ! विरहिणी के कोमल भावों का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है आपने...रचना सचमुच भावुक कर गयी....

आपको सपरिवार रंगोत्सव की मंगलकामना..

Asha Joglekar March 10, 2009 at 6:49 PM  

वाह वाह विरह के कोमल भावों का सजीव चित्रण । फागुन का एक रंग यह भी तो है ।

राज भाटिय़ा March 10, 2009 at 11:03 PM  

बहुत सुंदर रचना.
धन्यवाद.


आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

Bahadur Patel March 11, 2009 at 12:43 AM  

आपको और आपके परिवार को होली मुबारक

राजकुमार ग्वालानी March 11, 2009 at 11:06 AM  

रंगों की मदमस्त फुहार - सबके माथे अबीर- गुलाल
होली की बधाई

प्रवीण त्रिवेदी March 11, 2009 at 3:43 PM  

होली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!

होली की शुभकामनाओं सहित!!!

प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर

Rajesh March 12, 2009 at 3:57 PM  

Virah ki bahot hi shandaar rachna, virah ke shabdon ko kavita ka achha roop diya hai aapne. holi mubaarak ho

मुकेश कुमार तिवारी March 12, 2009 at 5:04 PM  

शोभा जी,

देरी के लिये मुआफी चाहूंगा. आपके ब्लॉग पर एक फागुनी रंगों से तरबतर हो गया. एक बहुत ही अच्छी प्रस्तुति जिसमें होली का उल्लास है तो विरह वेदना और मिलन की आस भी. जीवन के रंगों का बहुत ही सुन्दर ताल-मेल पाया कविता के रुप में.

आपको और परिवार को होली की शुभकामनायें

मुकेश कुमार तिवारी

Unknown March 13, 2009 at 5:03 PM  

deree se hee sahee. aapko saparivaar holi kee angin shubhkaamnaye.

विजय गौड़ March 13, 2009 at 11:16 PM  

उम्मीदों के रंगों से भरी हो हर होली।

रवीन्द्र दास March 16, 2009 at 2:18 PM  

kya purana rang feeka pad gaya ? baalam, aise n bhulo pardesi sajan ko!
aap achchhi kavita likh sakti hai, bas jara dhyan se.....

अनुपम अग्रवाल March 17, 2009 at 9:04 PM  

रंग को कौन रंग देगा ?.

होली की ढेर सी शुभकामनायेँ

sandhyagupta March 19, 2009 at 9:53 PM  

Man ko chu gayi aapki rachna.Badhai.

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