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लोकतंत्र

>> Monday, January 26, 2009

मैं लोकतंत्र हूँ--

भारत का संविधान

मेरा ही अनुगमन करता

है क्योंकि-- मैं जनता के लिए

जनता के द्वारा और जनता का तंत्र हूँ

फिर भी--

जन सामान्य यहाँ कुचला जाता है

तोहमत मुझपर लगती है

मैं जन-जन को अधिकार देता हूँ

राष्ट्र निर्माण का अधिकार

अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार

किन्तु देश की जनता

इससे उदासीन रहती है

मतदान के दिन चैन से सोती है

देश में हो रहा चुनाव

छट्टी का दिन बन जाता है

इसीलिए उसका

भरपूर आनन्द उठाता है

केवल कुछ लोग मतदान को जाते हैं

पर साम्प्रदायिकता से
ऊपर नहीं उठ पाते हैं

कभी धर्म के नाम पर

कभी जाति के नाम पर

और कभी लालच में

मतदान कर आते हैं

इसलिए धूर्त लोग इसका लाभ उठाते हैं

मनचाहा मतदान करवा

शासक बन जाते हैं

सीना छलनी कर जाते हैं

कभी-कभी सोचता हूँ

मुझे सफल बनाना

जन सामान्य का काम है

फिर -- मेरा नाम क्यों बदनाम है?

देश का हर नागरिक

अपनी ही चिन्ता में डूबा है

देश और देशभक्ति

सबके लिए अजूबा है

संविधान से लोग उम्मीद तो लगाते हैं

पर देश के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं

मेरे ५८वेँ जन्म दिवस पर

एक उपहार दे जाओ

इस वर्ष मुझे सच- मुच

जनतंत्र बना जाओ

जन-जन का तंत्र बना जाओ----

9 comments:

Anonymous January 26, 2009 at 10:09 AM  

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!!

Smart Indian January 26, 2009 at 10:26 AM  

आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाऐं

MANVINDER BHIMBER January 26, 2009 at 11:30 AM  

गणतंत्र दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई

महेन्द्र मिश्र January 26, 2009 at 12:11 PM  

लोकतंत्र की जुबानी लोकतंत्र की गाथा . अच्छा लगा. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना ....

Unknown January 26, 2009 at 3:27 PM  

bahut sunder vichaar hain bahut prabhaavit karte hain.

Udan Tashtari January 26, 2009 at 3:42 PM  

बेहतरीन!१

आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

संगीता पुरी January 26, 2009 at 3:55 PM  

गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

Anonymous January 26, 2009 at 6:09 PM  

बहुत सुंदर. हमारा गणतंत्र अमर राहे.

राज भाटिय़ा January 27, 2009 at 12:15 AM  

आप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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