२३ जनवरी का दिन...
>> Friday, January 23, 2009
२३ जनवरी का दिन
एक अविस्मरणीय तिथि बन आता है
और
एक गौरवशाली इतिहास को
सम्मुख ले आता है
एक विलक्षण व्यक्तित्व
अचानक आँखों में प्रकट होजाता है
और
भारत की तरूणाई को
जीवन मूल्य सिखा जाता है।
एक अद्भुत और तेजस्वी बालक
इतिहास के पन्नों से निकल आता है
और
टूटे,बिखरे राष्ट को
संगठन सूत्र सुनाता है।
एक मरण माँगता युवा
आकाश से झाँकता है
और
पश्चिम की धुनों पर थिरकते
मोहान्ध युवकों को
कर्तव्य का पथ दिखलाता है
सौन्दर्य से लबालब
एक तेजस्वी युवा
आँखोंमें बस जाता है
और
प्रेम को
वासना की गलियों से निकाल
त्याग की सर्वोच्च राह बताता है
एक सशक्त और प्रभावी नेता
हमारी कमियों को दिखाता है
और
जाति-पाति की संकीर्णता से दूर
एकता का पाठ पढ़ाता है।
11 comments:
bahut khoob shobha ji
bahut hi pyaari rachna, dil ko choo gayi aur is din ka mahatv aur bhi badha gayi
shukriya
manuj mehta
बहुत सुंदर और त्याग की सही परिभाषा बताती यह कविता बहुत पसंद आई ..शोभा जी
बहुत सुंदर प्रेरक कविता ..
Regards
बहुत पसंद आई आपकी यह रचना. बधाई.
शोभा जी,
२६ जनवरी की बधाई.
23 जनवरी का दिन आजादी की कीमत का भी एहसास करता है. सुभाष जी की यादें अपने ब्लॉग 'धरोहर' पर भी बाँट रहा हूँ. स्वागत.
नमन उन्हें !
बहुत सुंदर रचना....
"तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा देने वाले सुभाषचंद बोस को नमन करता हूँ .बहुत बढ़िया रचना .
महेंद्र मिश्र
जबलपुर
very nice & impressiv
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