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आवाज़: सुनो कहानी: अकेली - मन्नू भंडारी की कहानी

>> Wednesday, October 15, 2008

आवाज़: सुनो कहानी: अकेली - मन्नू भंडारी की कहाणी

हिन्दयुग्म अपने पाठकों को प्रसिद्ध कहानियाँ भी सुनवाता है. इसी श्रंखला में सुनिए मन्नू भंडारी की एक कहानी अकेली और बताईये की आपको यह कहानी कैसी लगी .

6 comments:

डॉ .अनुराग October 15, 2008 at 7:13 PM  

यहाँ बांटने का शुक्रिया ....उनकी आत्मकथा अगर किस्तों में यहाँ पढने को मिल जाये तो ?????

राज भाटिय़ा October 16, 2008 at 1:12 AM  

बहुत ही सुन्दर, कहानी अभी सुनी नही, अब सुनुगां
धन्यवाद पहले ही देदू.
धन्यवाद

योगेन्द्र मौदगिल October 16, 2008 at 9:22 AM  

आपको बधाई
मन्नू जी की इस प्रस्तुति के लिये

पारुल "पुखराज" October 16, 2008 at 10:39 AM  

kal hi suni...khuub acchhi kahi aapney...bua ki vyathaa...baandhti hai

Anonymous October 17, 2008 at 7:15 PM  

dhnyabad, bahot hi sundar prastuti, dhnyabad

Smart Indian October 20, 2008 at 8:33 AM  

शोभा जी,
मन्नू जी की इस सुन्दर कहानी की प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें!

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