अध्यापक दिवस पर…..
>> Thursday, September 4, 2008
जो स्वयं जल कर
रौशनी फैलाता है
किन्तु उत्तर में
समाज से क्या पाता है?
देश की पौध को सँवारता है
सुन्दर संस्कारों की खाद
और स्नेह की छाया बिछाता है
किन्तु अपेक्षित विकास ना पाकर
निराश हो जाता है…
पौध को सही दिशा में
विकसित करने के लिए
काट-छाँट (कठोर व्यवहार का भी)
सहारा लेता है
किन्तु अफसोस
बिना सोचे समझे समाज
आरोप लगाता है
क्रूर और अत्याचारी जैसे
विशेषणों से सज़ाता है
उसकी ताड़ना क्या
समाज के हित में नहीं?
फिर क्यों उसे
आरोपों -आक्षेपों में
घसीटा जाता है ?
समाज से उसका
क्या देने भर का नाता है ?
अध्यापक दिवस पर
एक परिवर्तन लाओ
अध्यापकों पर विश्वास रखो
उनको उचित सम्मान दे आओ।
अपना समर्पण,अपना विश्वास
दे आओ।
वह इतने से ही सन्तुष्ट हो जाएगा
यदि इतना भी ना कर सके तो
राष्ट्र का भविष्य
कौन बनाएगा ????
कौन बनाएगा ????
कौन बनाएगा ????
17 comments:
सच में अध्यापक एक दीपक ही तो है, जो अपने ज्ञान की रौशनी से अपने विद्यार्थियों को राह दिखता है, भविष्य की राह...
अची कविता के लिए बधाई..
are vaah....kal mujhe bhi apne do techars ko phone karna hai..
शोभा जी आप को दिवस की बहुत बहुत बधाई, सच मे एक अधयापक ही देश की नयी नींव रखता हे, एक शिक्षक ही कल के प्राधान मंत्री ओर राष्ट्र पति बनाता हे.
धन्यवाद
सत्य लिखा है आपने। शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई।
अरे छोटू जा तो जरा गुटका लेकर आ ,एक तु भी खा लेना।
इस बार के पर्चे कठिन है,नकल की तैयारी कर लेना।
ट्यूशन के लिये पैसो का जुगाड जरूर कर लेना।
अब मै गुरू जी नही रहा,टीचर हो गया हूं यह जान लेना।
पैसे के लिए मै तुम्हे फ़ेल कर सकता हूं,अपमानित कर सकता हूं यह भी जान लेना।
अरे छोटू जा तो जरा गुटका लेकर आ ,एक तु भी खा लेना।
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई...सुन्दर रचना.
शोभा जी,
जैसी की आपसे हमेशा आशा रहती है, एक सच्ची, सशक्त, सुंदर और उद्देश्यपूर्ण रचना.
धन्यवाद!
सुन्दर रचना
Shobhaji,
Happy Teacher's day to you and all the Teachers. Your poems have been always great and evergreen. I am sorry to say this time that I dont agree to your views. The Teachers in the early days and the GURUs who were in the ancient age are no more available, except may be a few. The Teachers have become the business oriented professionals now a days. And the teaching institutions like schools and colleges have become a commercial institutions, the best way to earn a lot of money. I agree that the students too are not as those of the ancient time who were respecting their teachers like their GOD. But eventually, if you do some MANOMANTHAN, you will see that the teachers are also not of the quality of the earlier days. I am sorry this time my comments will definately hurt the teachers community but it is very near to the fact of these days. You are at liberty to delete my comments if you feel so.
And Sorry once again.
उसकी ताड़ना क्या
समाज के हित में नहीं?
फिर क्यों उसे
आरोपों -आक्षेपों में
घसीटा जाता है ?
समाज से उसका
क्या देने भर का नाता है ?
bahut sundar abhivyakti aabhaar.
shikshak Diwas par Badhaee.
क्या कहूं क्या न कहूं।
शिक्षक दिवस पर आपको थोड़ी देर से बधाई।
it is a good on.....
it is a good one.....
the poem is great and provide a direction to new generation of students.
कल 05/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
सुंदर और उद्देश्यपूर्ण रचना.
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