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माँ

>> Sunday, May 10, 2009



माँ"
एक प्यारा सा शब्द
एक मीठा सा रिश्ता
प्रेम उदधि
त्याग की मूरत
बलिदान रूप
ईश्वरीय शक्ति
आँचल में समेटे
ममता का सागर
दो प्यारी सी आँखें
ममता से लबालब
राहों में बिछी
देखती हैं सपने
दो कोमल सी बाँहें
सदा संरक्षण को आतुर
एक सच्चा सम्बल
एक शक्ति और एक आस जीवन में भर देती
सदा विश्वास......
.. आज के दिन दूँ
क्यातुमको उपहार
मस्तक झुकाती हूँ
सहित आभार


(चित्र स्मिता तिवारी साभार)http://vahak.hindyugm.com/2007/10/blog-post_1942.html

24 comments:

Mumukshh Ki Rachanain May 10, 2009 at 10:30 AM  

'माँ दिवस" पर इतनी सुन्दर प्रस्तुति का आभार.

सब कुछ तो कह दिया आपने अपनी कविता में , अब मैं क्या कह कर प्रकट करुँ आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त

Ashok Pandey May 10, 2009 at 10:36 AM  

कविता के जरिए मां की मामता और ईश्‍वरीय रूप का स्‍मरण कराने के लिए आभार।

समय चक्र May 10, 2009 at 10:57 AM  

ममतामयी माँ को प्रणाम . मदर्स डे की शुभकामना .

राकेश खंडेलवाल May 10, 2009 at 11:03 AM  

इस विषय पर कितना भी लिखा जाये कम है

योगेन्द्र मौदगिल May 10, 2009 at 11:13 AM  

वाह बहुत सुंदर कविता आपको बहुत बधाई शोभा जी

रविकांत पाण्डेय May 10, 2009 at 11:23 AM  

मां को नमन।

शेफाली पाण्डे May 10, 2009 at 11:47 AM  

नमन है मेरा भी उस माँ को ...

Alpana Verma May 10, 2009 at 12:26 PM  

माँ का यही रूप है..सरंक्षण देती है हर पल..चाहे दूर हो या पास.उसके होने का अहसास हमेशा रहता है.इस विषय पर कितना भी लिखा जाये..कम है.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लगी ,शोभा जी.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' May 10, 2009 at 1:51 PM  

सुन्दर प्रस्तुति,
मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।

Vinay May 10, 2009 at 2:06 PM  

मातृ दिवस पर ऐसी अच्छी कविता पढ़ने को मिली बहुत अच्छा लगा

दिगम्बर नासवा May 10, 2009 at 5:02 PM  

माँ की बारे में इतना कुछ कहा है ...........सचमुच सच कहा................माँ ममतामयी होता है, माँ ही सब कुछ होती है .........

sharda Biyani May 10, 2009 at 11:00 PM  

एक छोटी सी आशा बडा सा अरमान बन जाती है सिर्फ माँ की ऊँगली पकड़ कर ...माँ tuze सलाम ...बहुत सुन्दर लिखा है आपने दिल को छुने वाले शब्द ...

डॉ. मनोज मिश्र May 11, 2009 at 3:49 PM  

बहुत ही सुंदर .

शोभना चौरे May 14, 2009 at 2:53 PM  

badhai bhut achi abhivykti

admin June 4, 2009 at 12:38 PM  

प्रभावी एवं दिल को छू लेने वाली रचना।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Mohinder56 June 9, 2009 at 4:52 PM  

सुन्दर कविता.. मां पर लिखी हर कविता विशिष्ट है

राज भाटिय़ा June 12, 2009 at 12:35 AM  

शोभा जी आप का लिंक मेरे ब्लांग पर नही खुलता पता नही क्यो , आज अचान्क ही आप की इस पोस्ट पर नजर पडी ओर इस सुंदर सी रचना से बंचित होने से बच गया.
आज कल तो मुझे इस शव्द से ओर भी ज्यादा प्यार हो गया है, मां वो है जिस के सामने भगवान भी छोटे है, बस यही कहुंगा, मां तो हमेशा अपना हाथ सर पर रखती है चाहे बच्चा कितनी दुर क्यो ना हो.
धन्यवाद

निर्मला कपिला June 17, 2009 at 6:27 PM  

sundar prastuti badhaai

प्रदीप मानोरिया June 22, 2009 at 9:48 AM  

हर बार की तरह सुन्दर रचना गहरी अभिव्यक्ति
.. व्यस्तता के चलते ब्लॉग जगत से काफी दूर रहा क्षमा प्राथी हूँ

M VERMA June 27, 2009 at 6:23 AM  

maa ko salaam

Smart Indian July 3, 2009 at 8:34 AM  

खूब सुन्दर रचना!

Dev July 9, 2009 at 6:40 PM  

Maa pra kavit dil ko chho gayi... maa ki mamta ka koi mulya nahi hai..Maa se bada es jag me koi nahi nahi hai...
Regards
DevSangeet

Asha Joglekar August 2, 2009 at 10:51 PM  

माँ- इस शब्द मे सारी दुनिया समा जाती है ।

Arshia Ali August 11, 2009 at 4:37 PM  

दुनिया का सबसे सच्छा रिश्ता माँ का ही होता है.
{ Treasurer-T & S }

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