माँ
>> Sunday, May 10, 2009
माँ"
एक प्यारा सा शब्द
एक मीठा सा रिश्ता
प्रेम उदधि
त्याग की मूरत
बलिदान रूप
ईश्वरीय शक्ति
आँचल में समेटे
ममता का सागर
दो प्यारी सी आँखें
ममता से लबालब
राहों में बिछी
देखती हैं सपने
दो कोमल सी बाँहें
सदा संरक्षण को आतुर
एक सच्चा सम्बल
एक शक्ति और एक आस जीवन में भर देती
सदा विश्वास......
.. आज के दिन दूँ
क्यातुमको उपहार
मस्तक झुकाती हूँ
सहित आभार
(चित्र स्मिता तिवारी साभार)http://vahak.hindyugm.com/2007/10/blog-post_1942.html
24 comments:
'माँ दिवस" पर इतनी सुन्दर प्रस्तुति का आभार.
सब कुछ तो कह दिया आपने अपनी कविता में , अब मैं क्या कह कर प्रकट करुँ आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
कविता के जरिए मां की मामता और ईश्वरीय रूप का स्मरण कराने के लिए आभार।
ममतामयी माँ को प्रणाम . मदर्स डे की शुभकामना .
इस विषय पर कितना भी लिखा जाये कम है
वाह बहुत सुंदर कविता आपको बहुत बधाई शोभा जी
मां को नमन।
नमन है मेरा भी उस माँ को ...
माँ का यही रूप है..सरंक्षण देती है हर पल..चाहे दूर हो या पास.उसके होने का अहसास हमेशा रहता है.इस विषय पर कितना भी लिखा जाये..कम है.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लगी ,शोभा जी.
सुन्दर प्रस्तुति,
मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।
मातृ दिवस पर ऐसी अच्छी कविता पढ़ने को मिली बहुत अच्छा लगा
माँ की बारे में इतना कुछ कहा है ...........सचमुच सच कहा................माँ ममतामयी होता है, माँ ही सब कुछ होती है .........
एक छोटी सी आशा बडा सा अरमान बन जाती है सिर्फ माँ की ऊँगली पकड़ कर ...माँ tuze सलाम ...बहुत सुन्दर लिखा है आपने दिल को छुने वाले शब्द ...
बहुत ही सुंदर .
badhai bhut achi abhivykti
प्रभावी एवं दिल को छू लेने वाली रचना।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुन्दर कविता.. मां पर लिखी हर कविता विशिष्ट है
शोभा जी आप का लिंक मेरे ब्लांग पर नही खुलता पता नही क्यो , आज अचान्क ही आप की इस पोस्ट पर नजर पडी ओर इस सुंदर सी रचना से बंचित होने से बच गया.
आज कल तो मुझे इस शव्द से ओर भी ज्यादा प्यार हो गया है, मां वो है जिस के सामने भगवान भी छोटे है, बस यही कहुंगा, मां तो हमेशा अपना हाथ सर पर रखती है चाहे बच्चा कितनी दुर क्यो ना हो.
धन्यवाद
sundar prastuti badhaai
हर बार की तरह सुन्दर रचना गहरी अभिव्यक्ति
.. व्यस्तता के चलते ब्लॉग जगत से काफी दूर रहा क्षमा प्राथी हूँ
maa ko salaam
खूब सुन्दर रचना!
Maa pra kavit dil ko chho gayi... maa ki mamta ka koi mulya nahi hai..Maa se bada es jag me koi nahi nahi hai...
Regards
DevSangeet
माँ- इस शब्द मे सारी दुनिया समा जाती है ।
दुनिया का सबसे सच्छा रिश्ता माँ का ही होता है.
{ Treasurer-T & S }
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