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चाचा नेहरू

>> Friday, November 14, 2008

जवाहर लाल नेहरू का अर्थ है- प्रत्यक्ष ऋतुराज,चिर जीवन और आनन्द का पुतला। उन्होने एक शानदार जीवन जिया । सामान्य जीवन नहीं अपितु एक सार्थक जीवन। वे विश्व मानस थे। उन्होने अपनी दुनिया में होरहे शोषण और अन्याय को खत्म करने के लिए अपनी शक्तियों का सद् उपयोग किया,
पंडित जवाहर लाल नेहरू मूल रूप से काश्मीरी ब्राह्मण थे। उनके परदादा को राजकौल नहर के किनारे जगह मिली थी इसी से नेहरू कहलाए। इनका जन्म १४ नवम्बर १८८९ को इलाहाबाद में एक धनाड्य परिवार में हुआ। माँ-बाप धनी और इकलौता बेटा हो तो अक्सर बिगड़ जाता है। किन्तु इनको बचपन में ही उच्च संस्कार मिले। माँ और चाची की गोद में बैठकर रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनीं। धनी परिवार ने बच्चे के शिक्षा के लिए अंग्रेज शिक्षक घर पर ही नियुक्त किया । उन्होने उसके साथ रहकर काम में मन लगाना, बड़ों का आदर करना, कभी अपने को हीन ना समझना, सब तरफ का ग्यान रखना तथा साफ रहना सीखा।
उच्च शिक्षा कैमरिज में हुई। वहीं पर देश की पुकार इनके कानों में पड़ी। मेरी कहानी में उन्होने लिखा - यह हिन्दुस्तान क्या है जो मुझपर छाया बन हुआ है और मुझे बराबर अपनी ओर बुलाहै रहा । उनका व्यक्तित्व बहु आयामी था। उनके व्यक्तित्व के निम्न पहलू मंत्र मुग्ध करने वाले हैं।
एक कुशल राजनेता- नेहरू जी एक कुशल राजनेता थे। गाँधी जी के नेतृत्व में राजनीति में प्रवेश किया। उन्होने जन मानस को समझा। उनकी पीड़ा को दूर करने का बीड़ा उठाया। आज़ादी के बार देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में देश को एक नई दिश दी। किसानो की समस्याओं को समझा और दूर किया।
एक साहित्यकार -एक कुशल नेता के साथ-साथ वे एक उच्च कोटि के लेखक भी थे। अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर साहित्य साधना करते थे। उनके पास भाषा का भंडार था, शैली रोचक थी और कहने का ढ़ंग मनमोहक। जो भी लिखा हृदय से लिखा। उन्होने दर्जन से भी अधिक पुस्तकें लिखी। उनमें सर्वाधिक लोकप्रिय रहीं- मेरी कहानी, विश्व इतिहास की एक झलक, भारत एक खोज,लड़खड़ाती सी दुनिया,हमारी समस्याएँ, पिता के पत्र पुत्री के नाम आदि। इनकी भाषा थिरकती हुई तथा शब्द बोलते हुए से लगते हैं। लेखन में उनका खुला हैदय झाँकता है। जेलों में अपने समय उन्होने लेखन में ही बिताया। पिता के पत्र पुत्री के नाम यहीं लिखे। ये आज भी बच्चों को प्रेरणा देते हैं।
लोकप्रिय नेता -देश की जनता उनसे बहुत प्यार करती थी। उनकी वाणी में जादू का सा प्रभाव था। उन्हें देख लोग बहुत प्रसन्न होते थे। वे भी भारत की जनता से बेहद प्यार करते थे। इसीलिए उन्हें जनता का जवाहर कहा जाता था। वे लोगों के बीव जाते, उनकी समस्याओं को समझते और उनसे सम्पर्क करते थे। एक आम भारतीय भी उनसे मिलने में संकोच नअीं करता था। कहते हैं एक बार उनके जन्मदिन पर एक किसान बहुत दूर से शहद की एक हाँडी लेकर आया। मिलने का समय समाप्त हो चुका था। जवाहर लाल जी आराम करने ही जा रहे थे। उन्होने आवाज़ सुनी। कारण पूछा और बाहर आए। किसान ने कहा- मैं बहुत दूर से आया हूँ इसलिए देर हो गई। नेहरू जी ने एक अँगुली भर कर शहद अपने मुँह में डाला और दूसरी अँगुली ग्रामीण के मुँह में । बोले आज सबसे कीमती उपहार तुमने ही मुझे दिया है। ग्रामीण बाग-बाग हो गया। फिर शाही सवारी में उसे घर तक छुड़वाया। भला इतना प्रेम देख कौन दिवाना ना हो जाएगा?
बच्चों के प्यारे चाचा बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू जी का सर्वाधिक प्रिय रूप था चाचा नेहरू का रूप। वे बच्चों से बहुत प्रेम करते थै। अपना अधिकतर समय बच्चों के साथ बिताते और उस समय स्वयं भी बच्चे बन जाते थे। पिता के पत्र पुत्री के नाम बच्चों के लिए ग्यान का भंडार है। चाचा नेहरू का नाम लेते ही एक ऐसी छवि आँखों के सामने आती है जिसकी आँखों में बच्चों के लिए असीम प्यार हो और जिसकी बाँहें सदा उन्हें गोद में लेने को आतुर रहती हैं। बच्चों के नाम उन्होने एक लम्बा खत लिखा था मानो अपना दिल ही खोलकर रख दिया हो- प्यारे बच्चों तुम लोगों के बीच में रहना मैं पसन्द करता हूँ। तुमसे बातें करने में और तुम्हारे साथ खेलने में मुझे बड़ा मज़ा आता है। थोड़ी देर के लिए मैं भूल जाता हूँ कि मैं बेहद बूढ़ा हो चला हूँ। पत्र के अन्त में लिखा- हमारा देश एक बहुत बड़ा देश है और हम सबको मिलजुल कर अपने देश के लिए बहुत कुछ करना है। जिसका हृदय जितना नि्छल होगा, बच्चों के लिए उतना ही प्यार उसके दिल में होगा। बच्चों के साथ वे स्वयं भी बच्चे बन जाते थे। एक बार बच्चों के कार्यक्रम में उन्होने भी नृत्य किया। एक बार उनसे पूछा गया- शैतान लड़कों को कैसे सुधारा जाय ? उन्होने कहा- बच्चे को अपनी तरफ प्रेम से खींचें। बच्चों के लालन-पालन में आपको क्या दोष दिखता है- आम तौर से हिन्दुस्तान में लाड़-प्यार से बच्चों का नुकसान हो जाता है। वेदेशों में भी बच्चे उनसे बहुत प्यार करते थे। वे अक्सर बच्चों के बारे में कहा करते थे- अगर तुमको भारत का भविष्य जानना है तो बच्चों की आँखों में देखो। यदि उनकी आँखों में निराशा , डर और कमजोरी है, तो देश भी उसी दिशा में जाएगा और उसका भविष्य भी अँधकार मय होगा। इसप्रकार नेहरू जी को याद करना है तो देश के बच्चों को पूरी सुविधाएँ , उनको प्यार, अच्छा वातावरण और उन्नति के अवसर दो। उनसे प्यार करो।

21 comments:

mehek November 14, 2008 at 5:23 PM  

bahut achhi prastuti rahi

प्रदीप मानोरिया November 14, 2008 at 5:41 PM  

अत्यन्त सामयिक रचना सुंदर प्रस्तुति आपके अनुभव से आपूर्ण

Smart Indian November 14, 2008 at 5:52 PM  

देश को एक नयी दिशा देने वाले चाचा नेहरू के बारे में पढ़कर अच्छा लगा. आधुनिक भारत की प्रगति का अधिकाधिक श्री नेहरू जी को जाता है. उनके नेतृत्व में देश ने वीरता के साथ विभाजन का दंश झेला. तिब्बत में हो रहे चीनी दमन के बीच से उन्होंने दलाई लामा को बचाकर निकाला. नेपाल की राणाशाही के समापन का सूत्रपात किया और भारत में तकनीकी प्रगति और उच्च शिक्षा की नींव रखी. इसके अलावा सरदार पटेल जैसे सहयोगियों की सहायता से एकीकृत भारत के निर्माण का रास्ता बनाया. नेहरू जैसे नेता पर राष्ट्र को गर्व है.

मीत November 14, 2008 at 5:53 PM  

हर दिल से ये आई आवाज
चाचा नेहरू जिंदाबाद!
बहुत अच्छा लेख है

sandeep sharma November 14, 2008 at 6:30 PM  

सुंदर रचना

Udan Tashtari November 14, 2008 at 6:39 PM  

अच्छा लेख !!

बाल दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

समय चक्र November 14, 2008 at 6:39 PM  

सुंदर रचना सुंदर प्रस्तुति....

"अर्श" November 14, 2008 at 7:07 PM  

बहोत ही सुन्दर प्रस्तुति के साथ सुन्दर लेख पढ़ने को मिला,साथ में मैं आपका आभारी हूँ आप मेरे ब्लॉग में आई ,आप सभों का स्नेह प्रोत्साहित करता है ,आपको ढेरो बधाई सुन्दर लेखन के लिए ...

डॉ .अनुराग November 14, 2008 at 7:37 PM  

उनकी सभी नीतियों से सहमत तो नही हूँ पर हाँ उनके करिश्माई व्यक्तितित्व ओर योगदान का भी कायल हूँ

राज भाटिय़ा November 15, 2008 at 1:45 AM  

बहुत ही मेहनत से लेख लिखा है आप ने, लेकिन इस कशमीर का पंगा भी इसी चाचा ने डाला है,
धन्यवाद

KK Yadav November 15, 2008 at 1:06 PM  

अतिसुन्दर प्रस्तुति...बधाई !!

Vinay November 15, 2008 at 3:58 PM  

लेख अच्छा रहा, बाल दिवस की हार्दिक बधाई!

अभिषेक मिश्र November 15, 2008 at 4:01 PM  

जवाहर लाल नेहरू का अर्थ है- प्रत्यक्ष ऋतुराज,चिर जीवन और आनन्द का पुतला।
बहुत सुंदर लिखा है आपने, और काफी अच्छी जानकारी भी. 'मेरे अंचल की कहावतें' में टिप्पणी
का शुक्रिया. स्वागत अपनी विरासत को समर्पित मेरे ब्लॉग पर भी.

roushan November 15, 2008 at 4:37 PM  

नेहरू जी के बारे में सुंदर आलेख उनसे असहमत हुआ जा सकता है पर उनके योगदान की प्रशंसा किए बिना नही रहा जा सकता है

BrijmohanShrivastava November 16, 2008 at 3:16 PM  

मेडम बहुत अच्छी जानकारी दी है /आजकल बच्चे तो जान ही नहीं पाते कि नेहरू जी को चाचा नेहरू क्यों कहते हैं आपका ये लेख बच्चों तक भी पहुंचना चाहिए मगर बच्चो को तो कार्टून से ही फुर्सत नहीं ऐसे लेख बाल पत्रिकाओं में आते नहीं हैं /नेहरू जी वाबत ये लेख केवल बच्चों के लिए ही नहीं है बल्कि शिक्षक गण और अभिवावकों के लिए भी है

डॉ. मनोज मिश्र November 18, 2008 at 9:12 AM  

चाचा नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे .उनके ब्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में जितना कहा जाय कम है .अच्छे लेख के लिए बधाई .

Aruna Kapoor November 24, 2008 at 4:30 PM  

bahutahi upayukt aur vistrut jaanakaari aapane di hai!...man prasanna hua!....aabhaar Shobhaji!

Rajesh December 17, 2008 at 11:59 AM  

Bachhon se Chacha Nehru ka lagaav aaj bhi log yaad karte rahte hain. 14th November ko Baal Divas hi sirf na banakar unke goonon ko bhi apna ne ki koshish karen hum sabhi.

Vivek Gupta November 14, 2009 at 6:28 AM  

बहुत सुंदर लिखा है आपने

Sunita May 1, 2020 at 11:50 AM  

Very Nice

naharkatiamb March 7, 2023 at 1:57 AM  

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