फिर आया फागुन….
>> Saturday, March 22, 2008
रंगों की बहार
तुम भी आजाओ
ये दिल की पुकार
टेसू के फूलों ने
धरती सजाई
अबीर, गुलाल ने
चाहत जगाई
कोयल की कुहू
डसे बार- बार
तुम भी आ जाओ…….
खिलती नहीं दिल में
भावों की कलियाँ
सूनी पड़ी मेरे
जीवन की गलियाँ
तुम बिन ना मौसम में
आए बहार
तुम भी आजाओ…..
रंग दो मुझे फिर से
अपने ही रंग में
आँखों को दे जाओ
फिर वो ही सपने
झंकृत करो मन की
वीणा के तार
तुम भी आजाओ
ये दिल की पुकार
5 comments:
आप को होली की बहुत-बहुत बधाई।
उत्तम..आपको होली बहुत मुबारक.
शोभा जी, आप की कविता बहुत सुन्दर हे,ओर आप का बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुन्दर कविता,अत्यन्त भावपूर्ण, बधाईयाँ !
yahi to fagun ka imporance hai ki yah aisa tyauhar hai jise akele nahi manaya jata, apne log aur khaas kar apna preetam saath ho yahi mann ki hamesa ichhayen rahti hai, khubsurat kavita
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