फागुन के रंग
>> Wednesday, March 19, 2008
हवाओं में उतर आए हैं
टेसू के फूल
सुगन्ध बिखराए हैं
पर मन है कि…
बेरंग हुआ जाता है
जाने किस रंग की
चाहत में…..
उम्मीद लगा रहा है
अतीत दिल में
उतरता जा रहा है
हर रंग…
तुम्हारे अहसास को
तीव्र कर देता है
और दिल को एक
मीठी सी…..
चुभन दे देता है
जो रंग ….
तुमने लगाया था
कब का धुल गया
पर उसका अहसास
आज भी …
तरो ताज़ा है
उसकी खुशबू से
दिल….
आज भी महकता है
और उसे पाने की
कामना से मन
बेचैन हो उठता है
तुम और तुम्हारे रंग
मेरी आँखों में
हसरत बनकर
उभरने लगे हैं
दिल
बहुत जोर से धड़कता है
और…..
मेरे सारे प्रयास
व्यर्थ हो जाते हैं
दीवानी होकर
हर रंग में
तुम्हें ढ़ूँढ़ती हूँ
जबकि जानती हूँ मैं
कि वो रंग नहीं आएगा
और…..
इस होली पर भी
ये दिल …
बेरंग ही रह जाएगा
10 comments:
फागुन के रंग
हवाओं में उतर आए हैं
टेसू के फूल
सुगन्ध बिखराए हैं
वाह वाह बहुत बढ़िया . होली पर्व की ढेरों शुभकामना
सही कहा आपने, इस होली पर भी दिल बेरंग रह जाएगा, दिल को छू गई आपकी यह कविता,
अतीत को फिर से जी लेने की चाहत के साथ कविता पेंग मार रही है... फागुन मुबारक हो।
achchee bhaav abhivayakti deekhi .
holi ka ek yah bhi rang hai-ki wo kabhi kabhi berang hai!!!!!
बहुत बढिया है कविता , बधाई स्वीकारें !होली की शुभकामना...!
दीवानी होकर
हर रंग में
तुम्हें ढ़ूँढ़ती हूँ
जबकि जानती हूँ मैं
कि वो रंग नहीं आएगा
और…..
इस होली पर भी
ये दिल …
बेरंग ही रह जाएगा
bahut bavuk rachana,sundar,holi mubarak
""तुम और तुम्हारे रंग
मेरी आँखों में
हसरत बनकर
उभरने लगे हैं
दिल
बहुत जोर से धड़कता है
और…..
मेरे सारे प्रयास
व्यर्थ हो जाते हैं""
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति है। बधाई स्वीकारें।
achhi kavita hai
हर रंग…
तुम्हारे अहसास को
तीव्र कर देता है
और दिल को एक
मीठी सी…..
चुभन दे देता है
yahi bhaav batate hai ki mann kabhi atit ko nahi bhool pata, chahe jitni hi koshish kar lein... sunder kavita
iss kavita ko maine padhaa
aur kuchh ateet k panne fir ulat gaye
..Fagun k Rang kaffi kuch kehte hain per..kabhi be-rang nahi hote.shayd paristithiyaan Rango ko feeka kar deti hai..
Bahot achhi Rachna hai ..
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