गणतंत्र-दिवस
>> Sunday, January 20, 2008
डाक्टर भीमराव अम्बेदकर के नेतृत्व में बनी कमेटी ने जी-जान लगाकर काम किया। भारतीय विचारधारा और भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए पुस्तक लिखी । जिसका मुख्य आधार व्यक्ति की स्वतंत्रता रही ।
किन्तु वर्तमान में लोकतंत्र की ओर देखें तो हैरानी होती है। सामान्य जन के लिए उनके द्वारा और उनका कहने वाला संविधान आज जन मानस को क्या दे रहा है । आज हमारा जनतंत्र कुटिल नेताओं के हाथ का खिलौना बन गया है।
जन सामान्य के लिए
और जन सामान्य का
तंत्र है---
किन्तु आश्चर्य---
सर्वाधिक उपेक्षित
जन सामान्य ही है
हर बार चुनाव में
वही निशाना बनता है
कोई डराता है-
कोई फुसलाता है
पर--
सत्ता मिलते ही
अगूँठा दिखाता है
बेचारा जन सामान्य
मुँह ताकता रह जाता है
हर शासक उसी के लिए
बड़ी-बड़ी कसमें खाता है
ये और बात है कि
लाभ भाई-भतीजा
ही पाता है
बेचारा जन सामान्य
सोचता ही रह जाता है
आख़िर कब तक वह
यूँ भ्रम में जिएगा?
सत्ता लोलुप
लालची लोगों का
शिकार होता रहेगा?
जिसके लिए यह तंत्र है
उसी को मिटाया जाता है
कुचला और सताया जाता है
हर बार उसे ही
कभी उसे --
गोली लगती है
कभी रौंदा जाता है
कभी कुचला जाता है
किन्तु फिर भी
गर्व से मुसकुराता है
और हँसकर
गुनगुनाता है
यह लोकतंत्र है
मेरे लिए--
मेरे द्वारा-- और
मेरा तंत्र---
कभी तो कोई
चमत्कार हो जाए
और लोकतंत्र जन-जन का
तंत्र हो जाए
यह प्रश्न आज हर भारतीय के मन में उठ रहा है और उठना भी चाहिए ।
मैं मानती हूँ कि इसमें जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण है और होनी भी चाहिए । आज समय है कि हम सब अपने कर्तव्यों के प्रति सावधान हो जाएँ। कृतसंकल्प होकर लोकतंत्र को सफल बनाएँ। यह देश हम सबका है और इसकी उन्नति में हम सब को अपनी विशिष्ट भूमिका निभानी चाहिए । उठो मेरे देश के लोगों जागो । अधिकार और कर्तव्य दोनो साथ-साथ चलें तो अच्छा है । जय भारत
4 comments:
बहुत सही लिखा है आपने शोभा जी ..२६ जनवरी आ रही है और आपके लिकेह लेख और कविता में यह जोश दिखायी देता है
बहुत अच्छा लगा इसको पढ़ना .और समझना!!
बहुत खूब लिखा आपने... धन्यवाद...
मैं इसकी आंशिक नक़ल अपनी कोम्मुनिटी पर भी लिखने जा रहा हूँ...
http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=20452842
FLAME - the fire within you...
It is in deed a beautiful article. Bahot dard ki yahi baat hai ki ek samanya jan bechara apne paagalpan ke unmaad mein itna khoya hota hai ki jaise hi Republic day ya phir Independence day aata hai, sari purani baaten aur apne dwara hi chune gaye NETAON ke dwara kiye gaye sare sosan ko bhool kar har saal ek nayi umeed mein phir GANTANTRA DIVAS aur SWATANTRATA DIVAS ko manane ke liye jhoojh jata hai. Aap ne sahi kaha hai, apne ADHIKAAR aur KARTAVYA ko saath saath le kar chalna ab bahot hi jaroori ho gaya hai. Ab waqt aa gaya hai ki hamen apne KARTAVYON ko nibhate hue apne ADHIKAARON ke liye ek jooth ho kar khood hi ladna hoga. JAY HIND, JAY BHARAT.
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