पागल प्रेमी
>> Wednesday, June 9, 2010

देखो आकाश में
घना अँधेरा छाया है ।
लगता है कोई प्रेमी
बादल बन आया है ।
इसके मन भावन रूप पर
धरती मोहित हो जाएगी ।
प्रेम की प्यासी
अपना आँचल फैलाएगी ।
और
अमृत की वर्षा में
आकंठ डूब जाएगी ।
ऑंखों में रंग और ओठों पे
मधुर गीतआया है ।
लगता है कोई प्रेमी
बादल बन आया है ।
गर्मी की तपन
अब शान्त हो जाएगी ।
सूखी सी धरती पर
कलियाँ खिल जाएँगी ।
हर तरफ अब बस
हरियाली ही छाएगी ।
गर्मी से सबको ही
राहत मिल जाएगी ।
झूलों में बैठ कर
गीत याद आया है ।
लगता है कोई प्रेमी
बादल बन आया है ।
धरती की प्रतीक्षा
रंग ले आई है ।
मदमदाती आँखों में
प्रेम छवि छाई है ।
अंग- अंग में यौवन की
मदिरा छलक आई है ।
नव अंकुरित सृष्टि ने
नयनों को लुभाया है ।
लगता है कोई प्रेमी
बादल बन आया है ।
बादल और प्रेमी
आते और जाते हैं ।
संवेदनाओं के मधुर
फूल खिला जाते हैं ।
कभी यहाँ, कभी वहाँ
अलख जगाते हैं ।
नारी को केवल
सपने दे जाते हैं ।
प्रेम में मत पूछो
किसने क्या पाया है ।
लगता है कोई प्रेमी
बादल बन आया है ।

![रंजना [रंजू भाटिया]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNSAuS52Q1_koZq7RTiPaXqebGpMwcHg1IpW_7oLT5AyisXdMENDn6DPmFqCSY82w0Bsv0CHvnTgf0BbkoDfqXMy_UDcRPo5LKUp2tZhDEXYlITXZ4IwMy3VZyidFnjX_1qWTPYSn2l49A/s220/kerHSSw_-3_kkPlI-U4lMaZFGJ_ZmKWaGRg7oiEO__qm-oArXQpiBh9pkellIe3_.jpeg)

12 comments:
एक अरसे बाद आपकी नयी रचना पढी. अच्छा लगा, धन्यवाद!
अच्छी रचना...
आपका पुन: वापसी पर स्वागत है... सुन्दर रचना.. आपने सावन और भादों का सजीव चित्र खींच दिया.
बहुत सुन्दर रचना है बधाई।
सुन्दर रचना , बधाई
नारी मनोभावों के बेहतरीन चित्रण के लिए शुभकामनायें शोभा जी !
प्यारी कविता है. आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूं. और देखता हूं...:)
bhut pasand aaya.
अरे तो आप यहाँ छुपी हुई हैं....
बहुत अच्छा लिखा
और अंत की लाइन्स बहुत अच्छी लगी.
बादल और प्रेमी आते और जाते हैं...
वाह क्या बात कह दी.
बहुत अच्छा लगा आपको पढ़ कर.
पहली बारिश का खूबसूरत एहसास कराती प्यारी कविता के लिए बधाई।
bahut sundar!
bahut sundar!
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