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कमलासना माँ!

>> Wednesday, January 20, 2010


माँ!

तुम कब तक यूँ ही

कमलासना बनी

वीणा- वादन करती रहोगी?

कभी-कभी अपने

भक्तों की ओर

भी तो निहारो

देखो--

आज तुम्हारे भक्त

सर्वाधिक उपेक्षित

दीन-हीन जी रहे हैं

भोगों के पुजारी

महिमा-मंडित हैं

साहित्य संगीत

कला के पुजारी

रोटी-रोज़ी को

भटक रहे हैं

क्या अपराध है इनका-?

बस इतना ही- -

कि इन्होने

कला को पूजा है?

ऐश्वर्य को

ठोकर मार कर

कला की साधना

कर रहे हैं ?

कला के अभ्यास में

इन्होने

जीवन दे दिया

किन्तु लोगों का मात्र

मनोरंजन ही किया ?


माँ!

आज वाणी के पुजारी

मूक हो चुके हैं

और वाणी के जादूगर

वाचाल नज़र आते हैं

आज कला का पुजारी

किंकर्तव्य-मूढ़ है

कृपा करो माँ--

राह दिखाओ

अथवा ----

हमारी वाणी में ही

ओज भर जाओ

इस विश्व को हम

दिशा-ग्यान कराएँ

भूले हुओं को

राह दिखाएँ

धर्म,जाति और

प्रान्त के नाम पर

लड़ने वालों को

सही राह दिखाएँ

तुमसे बस आज

यही वरदान पाएँ

14 comments:

श्यामल सुमन January 20, 2010 at 7:24 PM  

आज के समय की सच्ची और बेहतरीन प्रार्थना शोभा जी। वाहा।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

दिगम्बर नासवा January 20, 2010 at 7:29 PM  

आज के समयनुसार सार्थक प्रार्थना ...... आपको बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ...........

समय चक्र January 20, 2010 at 7:49 PM  

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये ओर बधाई आप सभी को .

रविकांत पाण्डेय January 20, 2010 at 8:46 PM  

बहुत दिनों बाद आपको पढ़ा। अच्छी रचना। भावों का सुंदर प्रवाह।

डॉ. मनोज मिश्र January 20, 2010 at 9:31 PM  

कई सवालों को लिए है यह रचना,धन्यवाद.

Anonymous January 20, 2010 at 10:13 PM  

आज तुम्हारे भक्त
सर्वाधिक उपेक्षित
दीन-हीन जी रहे हैं
भोगों के पुजारी
महिमा-मंडित हैं
साहित्य संगीत
कला के पुजारी
रोटी-रोज़ी को
भटक रहे हैं
बसंत पंचमी और माँ सरस्वती को नमन के माध्यम से बेहद सटीक और सार्थक उदगार.
मां सरस्वती का वंदन करते हुए आपको बसंत पंचमी और इस रचना के लिए हार्दिक बधाई, इस आशा और विश्वास के साथ आपका वरदान फलीभूत हो.

राज भाटिय़ा January 20, 2010 at 11:25 PM  

एक सच्ची प्राथना, बहुत सुंदर
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये

Udan Tashtari January 21, 2010 at 9:37 AM  

सार्थक प्रार्थना!

वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये

Pushpendra Singh "Pushp" February 2, 2010 at 2:33 PM  

sabhi kalakaro ki vyatha
apne kahdi......abhar

ashish February 5, 2010 at 10:25 PM  

वाह क्या खूब लिखा है

A.G.Krishnan February 8, 2010 at 4:44 PM  

वा.....................ह

akhil February 15, 2010 at 8:57 PM  

hi shobhaji,your expression is very commendable.it ispires and instill something live in our heart.its really vulnerable to feel it.

Tamil Home Recipes February 21, 2010 at 3:35 PM  

This blog is nice.

蜜桃情人 February 24, 2010 at 12:29 PM  

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