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मेरी प्यारी हिन्दी

>> Thursday, August 9, 2007

मेरी प्यारी हिन्दी
मेरे हिन्द की भाषा
मेरे राष्ट्र का गौरव
सबका स्वाभिमान
इस देश की पूँजी
भावों का तुझमें विस्तार
दिल में बसा तेरे प्यार
नित्य नूतन शब्दों को
जन्म देने वाली
हमार भावों को
व्यक्त करने वाली
अनेक विदेशी शब्दों को
आँचल में बसाती ।
अपनी ममता तू
सब पर लुटाती
सरल-सरस शब्दों की
झंकार
तुझमें बसा है बस
प्यार ही प्यार

3 comments:

Sanjeet Tripathi August 9, 2007 at 11:40 PM  

सुंदर और सही रचना!!
सहमत, सहमत, सहमत!!

शुक्रिया!!

Rajesh August 20, 2007 at 12:08 PM  

Sachmooch, hindi jo ki hamari rashtra bhasha hai, itni khoobsoorat hai aur itni vishal hai, kai bhasha ke kai shabdon ko apne mein samati hui, apne pankh faila rahi hai, logon mein adhik se adhik prachalit ho rahi hai. aapne itna achhe se iska vistar bataya hai, dhanyavaad.

उर्मिला August 24, 2007 at 7:16 PM  

जी सही कहा, भाषा तो सदा ही पूज्यनीय है। और हिन्दीं सच में ही प्रेम करने योग्य भाषा है।

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