नव वर्ष
>> Monday, December 31, 2007
स्नेहिल दस्तक
उर आनन्द जगाती है
बीत गया जो वर्ष पुराना
उसको राह बताती है
नव उल्लास समाता उर में
नव उमंग लहराती है
आँखों में हैं कितने सपने
जीवन को महकाने के
बीती बातों को विस्मृत कर
नव उत्साह जगाने के
गत अतीत की मीठी यादें
आँखों में लहराती हैं
खोया-पाया किसने क्या-क्या
फिर उनको दोहराती हैं
ले अतीत की सुन्दर यादें
भावी को चमकाएँ हम
स्वागत करें नव-आगन्तुक का
कलियाँ राह बिछाएँ हम
संकल्पों में दृढ़ता लाएँ
नव योजनाएँ जीवन में
पीड़ा -शोषण दूर भगा दें
स्व का लोभ भुलाएँ हम
नव वर्ष में नव-उम्मीदें
नव-संकल्प जगाएँ हम
आओ बन्धु नव वर्ष में
जीवन नया बनाएँ हम
5 comments:
आपको नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए।
आपका जीवन खुशियो से भर जाए।
नया वर्ष आपके लिए शुभ और मंगलमय हो।
har baar naye varsh ke aane per uske pahle kitne hi naye sankalp ban jate hai per na jane kitne pure ho pate hai. aapne bilkul sahi kaha hai -
नव वर्ष में नव-उम्मीदें
नव-संकल्प जगाएँ हम
आओ बन्धु नव वर्ष में
जीवन नया बनाएँ हम
bahot badhiya bani hai kavita aapko shboba ji
कविता बहुत अच्छी लगी ।
नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
स्वप्न बहुत अच्छे दिखा रहे हो कवि! चलो आपकी बाट मान कर आशावादी हो जाते हैं।
नये साल की हार्दिक शुभकामनायें
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