हमें तो लूट लिया--
>> Saturday, November 10, 2007
बेईमान चालों ने ऊँची कुर्सी वालों ने
हिन्दु और मुस्लिम के नाम पर लड़वाते हैं
पीछे रहकर के ये दंगे बहुत फैलाते हैं
मीटिंग में बैठ कर ये दावतें उड़ाते हैं
कभी हिन्दू कभी मुस्लिम तुम्हें
तड़पता देश है ये दावतें उड़ाते हैं
ज़हर को बाँटकर ये मौज़ खुद मनाते हैं
फँस ना जाना कभी तुम इनकी चालों में
ऊँची कुर्सी वालों ने बेईमान चालों ने
पाँच सालों में केवल एक बार आते हैं
झूठी वादे और झूठी कसमें खाते हैं
बड़े-बड़े कामों के सपने हमें दिखाते हैं
जन-जन की सेवा में खुद को लगा बताते हैं
भोली सूरत से सारे लोगों को बहकाते हैं
हाथों को जोड़ते मस्तक कभी झुकाते हैं
गरीब लोगों को ये झूठे स्वप्न दिखाते हैं
समझ ना पाए कोई ऐसा जाल बिछाते हैं
धोखा ना खाना भाई दिन के इन उजालों में
बेईमान चालों ने ऊँची कुर्सी वालों ने
संसद में बैठकर हल्ला बहुत मचाते हैं
कभी कुर्सी कभी टेबल को पटक जाते हैं
बहस के नाम पर ये शोर भी मचाते हैं
लड़ते हैं ऐसे जैसे बच्चे मचल जाते हैं
सभी चीज़ों पे ये टैक्स खूब लगाते हैं
दिखाते ख्वाब सस्ते का और मँहगाई बढ़ाते हैं
आरक्षण के नाम पर ये बेवकूफ बनाते हैं
कभी इनको-कभी उनको आरक्षित कर जाते हैं
पढ़ने वालों की मेहनत बह रही है नालों में
बेईमान चालों ने ऊँची कुर्सी वालों ने
हमें तो लूट लिया मिलके इन -----
7 comments:
बहुत अच्छी परोडी लिखी है शोभा जी
बहुत खूब! बहुत बढिया परोडी लिखी है..तीखा व्यंग्य है।बधाई।
बहुत बढिया शोभा जी
शोभा जी, मज़ा आ गया. बहुत बढ़िया.
आप की बातें कभी उन तक भी पहुँचेंगी ? मगर ...... पहुँच भी जाएँ तो क्या ? बड़ा अजीब माहौल है. ख़ैर ....
A very good article shobhaji on the present day situation in the country. Main to kahoonga ki kabhi to aap ke yah vichar kisi kursi walon ke pass pahoonch jaye. shayad kisi achhe se kshan mein us ek ka mann palat kar de aur dheere dheere baki kursi walon ke bhi....
vaise yah ek sapna hi hai, suhana sapna, isi umeed mein ki shayad kisi din sach ho jaye.........
उपमान और उपमेय के अंतर की अनुमोदना के लिए धन्यवाद!
कदाचित आप भी सृजन की इस वेदना को उतने ही निकट से अनुभूत करते हैं......
-चिराग जैन
बहुत अच्छे शोभा जी !
बहुत दिनों के बाद फिर आपके ब्लाग पर आकर नई रचनाओं को पढ़ना ऐसे ही लगा जैसे अपने किसी नये घर में आया हूं
शुक्रिया
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