एक वृक्ष
>> Saturday, June 23, 2007
एक वृक्ष है मेरे आँगन में
घना, छायादार,
फल फूलों से लदा ।
झूमता-इतराता ।
सुख-सम्पन्नता बरसाता ।
हम सब पर प्यार लुटाता ।
जाड़ा-गर्मी -बरसात ,
सभी से हमें बचाता ।
और सदा मुस्कुराता ।
हर मुसीबत, हर तकलीफ को,
चुटकियों में उड़ाता ।
उसकी स्नेहिल छाया में-
सारा घर आश्रय पाता ।
दादा-दादी की गोद में
मैं फूला नहीं समाता ।
मेरे पूज्य, मेरे भय त्राता
दो आशीष रहूँ मुसकाता ।
2 comments:
मुस्कान को सहेजे हुए एक सुन्दर कविता.. खोज भी तो उसी की है।
बधाई स्वीकारें।
आपका स्वर भी सुना हिन्द-युग्म के पाडकास्ट पर.. मधुर लगा आपका कंठ।
आपसे ई-मेल से बात हो सकती है क्या। मेरा ई-मेल पता..
asheesh.dube@gmail.com
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